लखनऊ: यहाँ बिना रुपये दिये नही बनता ‘लाइसेंस’
लखनऊ,। कहने को तो संभागीय परिवहन कार्यालय की सभी सेवाएं ऑनलाइन हैं, लेकिन देवा रोड स्थित एआरटीओ दफ्तर में हर काम ऑफलाइन हो रहा है। लाइसेंस के लिए पंजीयन कराना हो या वाहन का ट्रांसफर।
कोई काम दलाल बिना नहीं हो सकता। कमोबेश यही हाल कानपुर रोड स्थित आरटीओ का भी दिखा। यहां जिस कार से ड्राइविंग टेस्ट लिया जा रहा था। परीक्षण के दौरान तो उसका ब्रेक भी नहीं लगा।
मौके पर जमा जरूरतमंदों से ज्यादा संख्या दलालों की मिली। सोमवार को जागरण की ऑन द स्पॉट टीम मौके पर पहुंची तो लोगों की परेशानी उभरकर सामने आयी। कैमरे का फ्लैश चमका तो दलाल भाग खड़े हुए।
आरटीओ दफ्तर के सामने सड़क पर पेड़ों के नीचे बाइक पर बैठे दलाल आते-जाते लोगों को रोक रहे थे। गोमतीनगर से आए विनोद पाल दलाल के झांसे में फंस गए।
पाल के अनुसार, दलाल ने लाइसेंस बनवाने के एवज में उनसे 2400 रुपये मांगे। उनके पास उतने पैसे नहीं थे। वह कार्यालय में गए तो बाबू ने उन्हें सर्वर न चलने का बहाना बताया।
बाहर आए तो फिर दलाल ने घेरा। आखिर वह मजबूर हो गए। कागज व 1500 रुपये दलाल को देकर चले गए।
नवीनीकरण के लिए एक महीने दौड़ाया
रमेश चंद्र मिश्र ने बताया कि उन्होंने अपनी कार के रजिस्ट्रेशन रिन्यूवल के लिए सितंबर में एआटीओ कार्यालय में पैसा जमा किया था। तब से बाबू उन्हें दौड़ा रहे हैं।
शुरू में ही दलाल ने उनसे तत्काल काम कराने का वादा किया था, लेकिन वह नहीं माने। अब तक उनके वाहन का री-रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका है।
बाहर बाबू, अंदर दलाल लगाते ‘जुगाड़’
एआरटीओ कार्यालय में दलालों की पौ बारह है। दलाल बाहर से लेकर कार्यालय तक जुगाड़ लगाते रहे। उधर, कार्यालय में कोई भी बाबू अपनी सीट पर 15 मिनट से अधिक नहीं बैठा।
बाहर खड़ी गाडिय़ों पर दलालों से बात करते बाबू देखे गए। इंदिरानगर से आए विवेक ने कहा कि वाहन का ट्रांसफर पेपर बनवाने आया था, यहां बाबू ही नहीं मिल रहे।
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इंदिरानगर निवासी नन्हकू का कहना है कि दो साल से मेरी गाड़ी का ट्रांसफर पेपर नहीं बन पाया। एक व्यक्ति को दिया था,तब से वह दौड़ा रहा है। यहां किसी बाबू से मिलकर उसने काम कराने के लिए आज बुलाया था, पर काम नहीं हो पाया।
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छात्र इंद्रसेन ने बताया कि मुझे ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना था। एक महीने से दौड़ रहा हूं। आज फिर से ऑनलाइन फीस जमा कराने के लिए कहा गया है। 2400 रुपये यहां के दलाल ने मांगे थे, पर मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं।