यौन शोषण के आरोपों में फंसे विदेश राज्य मंत्री एम.जे.अकबर ने बुधवार (17 अक्टूबर) को पद से इस्तीफा दे दिया। उन पर करीब 20 महिला पत्रकारों ने छेड़खानी करने का आरोप लगाया है। अकबर के इस्तीफे का विपक्ष लगातार दबाव बना रहा था। इस मुद्दे पर बीजेपी भी बैकफुट पर थी। अब इस मामले में बीजेपी के मुखर नेता सुब्रमन्यम स्वामी ने तंज कसा है।
भारतीय जनता पार्टी के राज्य सभा सांसद स्वामी ने कहा, ‘एक व्यक्ति के रूप में कह सकता हूं कि मैं कभी मेरे खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे नहीं हारा। असल मायनों में जब शिकायत क्रॉस एक्जामिन होना शुरू होता है वही असली मानहानि होता है।’
उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक पदों पर रहने वालों को मानहानि का केस नहीं करना चाहिए। जब तक मानहानि अपमानजनक रूप से और व्यापक रूप से झूठा नहीं माना जाता है।’
बीते दिनों भी स्वामी ने अकबर को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री ने अकबर को नियु्क्त किया है। उन्हें हटाने का फैसला भी वही ले सकते हैं। वह सभी मंत्रियों के प्रभारी हैं वही सब तय करेंगे।
वहीं मीटू कैम्पेन के तरह करीब 20 महिलाओं द्वारा यौन शोषण के आरोपों के बाद बढ़ते दबाव के चलते अकबर को इस्तीफा देना पड़ा था। अकबर ने सबसे पहले आरोप लगाने वाली पत्रकार रमानी के खिलाफ मानहानि का केस किया है। केस को लड़ने के लिए उन्होंने 97 वकीलों की फौज खड़ी की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने यह कदम उठाया था। इस्तीफे के कुछ देर बाद उनके त्याग-पत्र की प्रति भी सामने आई थी, जिसके जरिए उन्होंने अपनी बात रखी थी।
वहीं इस मसले पर अकबर की वकील ने कहा, पत्रकार प्रिया रमानी के लओगाए आरोपों से अकबर की छवि खराब हुई है। उन्होंने 40 वर्षों में जो भी प्रतिष्ठा हासिल की, उसको नुकसान पहुंचा है।