सरकार के पास मंदिर पे कानून लाने का अधिकार तो है लेकिन राह बहुत मुश्किल

0 308
नई दिल्ली,। अयोध्या में राममंदिर बनाने के लिए कानून लाने का सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है। कोई आंदोलन की चेतावनी दे रहा है तो कोई प्राइवेट बिल लाने की बात कर रहा है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहने के दौरान इस पर कानून लाया जा सकता है? कानूनविदों की मानें तो विधायिका के पास कानून लाने की शक्तियां असीमित हैं लेकिन
यह मुद्दा इतना आसान नहीं है कई दौर की मुकदमेबाजी और अभी भी विवाद का सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होना कानून की राह में रोड़े अटकाएगा। कानून तैयार करते हुए बहुत साध कर कदम बढ़ाने होंगे।
अयोध्या विवाद को भले ही कभी टिप्पणी में सुप्रीम कोर्ट ने महज जमीनी विवाद करार दिया हो, लेकिन हकीकत यही है कि यह संवेदनशील मुद्दा है। इसमें देश के दो बड़े समुदाय आमने-सामने हैं।
सरकार को कोई भी कदम उठाते समय संवैधानिक दायरे का ख्याल रखना होगा। पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आरएम लोढा कहते हैं कि ‘कानून लाया जा सकता है,
लेकिन सीधे तौर पर कोर्ट का फैसला नहीं पलटा जा सकता। फैसले का आधार खत्म किया जा सकता है। ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जिसमें सरकार ने कानून से फैसला पलटने की कोशिश की और
बाद में कोर्ट ने उस कानून को रद किया। कानून लाने की सीमाएं हैं अगर कानून लाते समय इनका ध्यान नहीं रखा जाएगा तो कोर्ट में जाकर निरस्त हो जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज चेलमेश्वर भी शुक्रवार को एक कार्यक्रम में मुंबई मे कह चुके हैं कि इस पर कानून लाया जा सकता है। हालांकि इससे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जीपी माथुर बहुत सहमत नहीं दिखते।
वह कहते हैं कि ‘कानून तो लाया जा सकता है, लेकिन सवाल है कि कैसा कानून लाया जाएगा। कानून को अगर कोई कोर्ट में चुनौती देगा और
यह भी पढ़ें: साधु-संत दिल्ली में हुए इकट्ठा,जारी करेंगे धर्मादेश
कोर्ट ने कानून पर अंतरिम रोक लगा दी तो स्थिति जस की तस रहेगी। ऐसे में बेहतर होगा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का इंतजार करे।’

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More