मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुसार दो तिहाई आबादी को निशुल्क राशन दिया जाए

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इंदौर – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के प्रतिनिधि मंडल ने आज फिर कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन दिया तथा मांग की कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने दो तिहाई लोगों को निशुल्क राशन उपलब्ध कराने की घोषणा की है उसका पालन किया जाए। साथ ही मंडी एक्ट में और श्रम कानूनों में किए गए बदलाव को वापस किया जाए।
बिजली उपभोक्ताओं को दिए जा रहे मनमाने बिल माफ किया जाए तथा नगर निगम द्वारा वसूले जा रहे टैक्स को भी कोरोना काल के लिए माफ किया जाए । इन तीनों पार्टियों के नेता सर्वश्री रूद्र पाल यादव, कैलाश लिंबोदिया, रामस्वरूप मंत्री, सीएल सरावत, अरुण चौहान, भागीरथ कछवाय आदि ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर यह ज्ञापन दिया ।
दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि शासकीय उचित मूल्य की दुकानों से केवल बीपीएल राशन कार्ड धारियों को ही अनाज दिया जा रहा है । उनमें से भी 40,000 से अधिक कार्ड धारी राशन नहीं ले पा रहे हैं और उनका राशन कंट्रोल दुकानदार ब्लैक में बेच रहे हैं । साथ ही कुछ वस्तुएं जबरिया देकर उनसे ₹250 तक वसूला जा रहा है । केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश को 65 सौ टन अनाज आवंटित किया था लेकिन मध्यप्रदेश सरकार उस में से केवल 5% की उठा पाई है और उसमें भी 1% अनाज ही मध्यप्रदेश में बांटा गया है, जो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की घोषणा की पोल खोलता है ।
मांग की गई है कि आयकर सीमा से बाहर के प्रत्येक व्यक्ति को 10 किलो अनाज और 1 किलो दाल निशुल्क दी जाए। सब्जी मंडी को बंद करने का आदेश वापस लिया जाए । साथ ही किसानों को लूटने से बचाने के लिए मंडी एक्ट में किया गया संशोधन वापस किया जाए । इसी तरह श्रम कानूनों में किए गए बदलाव को भी तत्काल रद्द किया जाए ।बिजली उपभोक्ताओं से मनमाने बिल वसूली पर रोक लगाई जाए तथा पूर्व वती सरकार की तरह डेढ़ सौ यूनिट तक की खपत करने वालों से ₹1प्रति युनिट की दर से बिजली बिल दिया जाए ।
लॉकडाउन के दौरान स्कूल , अस्पताल और निजी संस्थानों से हजारों मजदूरों, कर्मचारियों, शिक्षकों को निकाल दिया गया है, उनके सामने भूखे मरने की स्थिति है अतः सभी को आगामी 6 माह का ₹7500 प्रति माह भुगतान किया जाए ।रोजगार गारंटी योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों पंचायत स्तर पर कार्य खोले जाएं और वहां 200 दिन का बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराया जाए तथा शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन दिया जाए । ग्रामीण क्षेत्रों में वन विभाग व अन्य सरकारी जमीन से गरीबों को बेदखल किया जा रहा है
उन्हें मालिकाना हक के पट्टे दिए जाएं । इंदौर नगर निगम को लॉक डाउन के दौरान दानदाताओं से 100 करोड रुपए दान में प्राप्त हुए हैं जिसमें से नगर निगम के अनुसार केवल ₹500000000 ही खर्च हुआ है अतः बाकी राशि बेरोजगार और गरीबों को मदद देने में खर्च की जाए । कोरोना पीड़ित व्यक्तियों का सभी अस्पतालों में निशुल्क उपचार किया जाए ।
ज्ञापन के साथ ही जिला प्रशासन को तीनो दलों के नेताओं ने चेतावनी दी है कि पूर्व में भी तीन बार हम जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर गरीबों मजदूरों और मेहनतकसों की परेशानियों से अवगत करा चुके हैं ।यदि अब भी प्रशासन नहीं चेता और गरीबों की सुनवाई नहीं हुई तो वामपंथी समाजवादी दलों को संघर्ष का दूसरा रास्ता अपनाना पड़ेगा ।

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