विस्तार में सार नहीं मिल पा रहा सिंधिया को, पीएम से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक की चौखट से मिल रही निराशा

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भोपाल:अपने अहम और वजूद को बरकरार रखने मप्र की कांग्रेस सरकार की बलि लेने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने समर्थकों को शिवराज केबिनेट में मुनासिब जगह दिलवा पाना टेढ़ी खीर जैसा लगने लगा है। दिल्ली दरबार से खिसक कर प्रदेश कार्यालय तक अाई बात के बाद भी कोई सार निकलता नजर नहीं आ रहा है।
सूत्रों का कहना है कि सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों को शिवराज केबिनेट में बेहतर प्लैसमेट की उम्मीद लगाई थी। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात का समय मांगा था। लेकिन बताया जा रहा है प्रधानमंत्री की तरफ से उन्हें गृहमंत्री अमित शाह से मिलने के निर्देश मिले। सूत्रों का कहना है कि सिंधिया ने जब शाह दरबार का रुख किया तो उन्होंने राजनाथ सिंह से मुलाकात करने की सलाह थमा दी।
अपनी अपेक्षाओं के साथ जब ज्योतिरादित्य ने राजनाथ का द्वार खटखटाया तो बताया जा रहा है उन्होंने मामला मप्र का होने का चलते इसमें कोई हस्तक्षेप करने में असमर्थता जता दी। नाथ ने सिंधिया को भाजपाध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने और अपनी बात कहने की सलाह दे डाली।
नड्डा से मुलाकात का सार ये निकला कि मामला प्रदेश अध्यक्ष के स्तर का बताते हुए सिंधिया को वीडी शर्मा की तरफ भेज दिया गया है। अब सूत्रों का कहना है कि सिंधिया, नए नए सांसद बने वीडी के पास जाना खुद को निचले स्तर पर रखने जैसा मान रहे हैं। इस स्थिति के चलते फिलहाल इस महत्वाकंक्षी मुलाकात को ठौर नहीं मिल पाया है।
पहले गठन में मिला झटका
कांग्रेस सरकार में ऊंचे और दमदार विभागों में पदासीन सिंधिया समर्थकों को शिवराज केबिनेट के पहले गठन से झ्टका मिलना शुरू हो गया है। जहां तुलसी सिलावट को डिप्टी सीएम के रूप में उम्मीद की जा रही थी, उनके हिस्से दोयम दर्जे का विभाग आया है। ऐसे ही हालात सिंधिया के प्रिय गोविंद सिंह राजपूत को भी खानापूर्ति जैसे विभाग से ही काम चलाना पड़ रहा है
आने वाले दिनों में होने वाले विस्तार में बाकी सिंधिया समर्थकों के लिए कुछ बेहतर मिल पाएगा, इसको लेकर बाकी बचे विधायकों में बेचैनी बढ़ने लगी है। इधर उपचुनाव में खुद की सीट पर दोबारा साबित हो पाना भी इनके लिए चुनौती बना हुआ दिखाई दे रहा है।
शुरू हुई सिंधिया की दबाव सियासत
प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर अपने समर्थकों के जरिए दबाव बनाए रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी नई पारी में भी पुराना नुस्खा आजमाना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों उनके खास सिपहसालार गोविंद सिंह ने इस मामले को उठाते हुए सिंधिया को केंद्रीय मंत्री बनाए जाने की पैरवी की है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से उम्मीद की कि सिंधिया को मप्र के उपचुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री मंडल में जगह दी जाना चाहिए, ताकि लोगों का यकीन और कार्यकर्ताओं का उत्साह बरकरार रह सके।

हरि शंकर पाराशर कटनी  संवादाता✍️

 

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