निर्भया के गुनहगारों को तय तारिख में फांसी नहीं दी जा सकेगी, गृह मंत्रालय पहुंची मुकेश की दया याचिका

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निर्भया सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी मुकेश की ओर से दाखिल दया याचिका दिल्ली सरकार ने खारिज कर उपराज्यपाल को भेज दी थी,
जिसे उपराज्यपाल ने गुरुवार को गृह मंत्रालय को भेज दिया है।
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने मुकेश कुमार की ओर से दाखिल दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की है।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बताया, सरकार ने अपनी सिफारिश लेफ्टिनेंट गवर्नर को भेज दी है।
अब इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा।
डेथ वारंट पर रोक की याचिका बुधवार को हुई थी खारिज
निर्भया के गुनहगारों को अब 22 जनवरी को फांसी नहीं दी जा सकेगी।
डेथ वारंट पर रोक लगाने की मुकेश कुमार की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि एक दोषी की दया याचिका राष्ट्रपति के समक्ष लंबित है
इसलिए किसी को फांसी नहीं दी सकती।
सरकार ने कहा कि जब तक दोषियों के पास बचाव का कोई कानूनी विकल्प मौजूद है,
मौत की सजा नहीं दी जा सकती।
वहीं, हाईकोर्ट ने डेथ वारंट पर रोक लगाने की मुकेश की याचिका खारिज कर दी।
इसके बाद मुकेश ने ट्रायल कोर्ट में अर्जी देकर दया याचिका पर फैसला होने तक डेथ वारंट पर रोक की मांग की है।
इस पर वृहस्पतिवार को सुनवाई होगी।
दिल्ली सरकार और तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से पेश स्थायी अधिवक्ता राहुल मेहरा ने जस्टिस मनमोहन
और जस्टिस संगीता ढींगरा की बेंच को बताया,
अगर किसी मामले में एक से ज्यादा व्यक्ति को मौत की सजा हुई है
और किसी एक की दया याचिका लंबित है, तो फैसला आने तक सब की सजा लंबित रहेगी।
नियमानुसार याचिका खारिज होने पर 14 दिन का नोटिस देना होता है।
इस पर कोर्ट ने कहा, यह साफ दिखता है कि व्यवस्था का दुरुपयोग हो सकता है
और किया भी गया।
अगर ऐसा हुआ तो लोगों का व्यवस्था पर भरोसा नहीं बचेगा।
कोर्ट ने कहा, यह नियमों की खामी है कि जब तक सभी अभियुक्त दया याचिका नहीं लगाते आप कुछ नहीं कर सकते। व्यवस्था ही कैंसर से पीड़ित है।
इस पर मेहरा ने कहा, दोषी कानूनी उपायों का इस्तेमाल कर सजा को टाल रहे हैं।
अगर 21 जनवरी दोपहर तक दया याचिका पर फैसला नहीं होता तो जेल प्रशासन को डेथ वारंट के लिए फिर कोर्ट जाना होगा।
याचिका 22 जनवरी के पहले या बाद में खारिज होने पर भी डेथ वारंट के नई याचिका लगानी होगी।
जेल प्रशासन नियमों से बंधा है।
डेथ वारंट जारी करने में कोई खामी नहीं
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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होने के बाद मुकेश के वकील रेबेका जॉनऔर वृंदा ग्रोवर ने मंगलवार को हाईकोर्ट में अपील दायर कर डेथ वारंट पर रोक की मांग की थी।
इसे खारिज करते हुए बेंच ने कहा, ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी डेथ वारंट में कोई खामी नहीं है।
मुकेश के वकील ने बेंच को बताया कि वह वह सेशन कोर्ट जाएंगे।
इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि वह सेशन कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।
गौरतलब है कि पटियाला हाउस कोर्ट ने सात जनवरी को विनय शर्मा, मुकेश, अक्षय कुमार सिंह
और पवन गुप्ता का डेथ वारंट जारी कर चारों को 22 जनवरी सुबह सात बजे फांसी पर लटकाने का फैसला सुनाया था।
इसके साथ ही दोषियों को क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका के लिए 14 दिन का समय दिया गया था।

निर्भया की मां –

दोषियों को सजा टालने के लिए देरी हो रही है या सिस्टम की आंखों पर पट्टी बंधी है।मैं सात साल से लड़ रही हूं। मुझसे पूछने की जगह सरकार से पूछा जा रहा है कि दरिंदों को 22 जनवरी को फांसी दी जाए या नहीं।

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