रद्द होंगे लाखों आवेदन छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में, विद्यार्थियों को लगेगा बड़ा झटका

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छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के आवेदन रद्द होंगे।
इसका कारण ऑनलाइन आवेदन में पिता के नाम, हाईस्कूल के रिकॉर्ड, आय व जाति प्रमाणपत्र में गड़बड़ियां मिलना है।
अभी तक सामान्य व अनुसूचित जाति के 5.51 लाख छात्रों का डाटा संदिग्ध श्रेणी में डाला जा चुका है।
इन पर अगले पांच दिनों के भीतर सभी जिला समाज कल्याण अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है।
प्रदेश सरकार सामान्य वर्ग के परिवार की वार्षिक आय दो लाख व अनुसूचित जाति के परिवार की वार्षिक आय ढाई लाख रुपये तक होने पर विद्यार्थियों की फीस की भरपाई करती है।
किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए पीएफएमएस सॉफ्टवेयर से प्रत्येक विद्यार्थी के डाटा की जांच कराई जा रही है।
नाम, आय, पिछले शैक्षणिक रिकॉर्ड व बैंक खाता नंबर में गड़बड़ी मिलने पर तत्काल उन विद्यार्थियों का डाटा संदेह के दायरे में रखा जा रहा है।
इसकी सूचना विद्यार्थी व शिक्षण संस्थान के लॉगइन पर भी प्रदर्शित की जा रही है,
ताकि असहमत होने पर वे अपनी बात साक्ष्यों के साथ जिला समाज कल्याण अधिकारियों के सामने रख सकें।
पीएफएमएस सॉफ्टवेयर ने अभी तक सामान्य व अनुसूचित जाति के 23.70 लाख छात्रों के डाटा को सही पाया है।
इनमें अनुसूचित जाति के 14.5 लाख और सामान्य वर्ग के 9.20 लाख छात्र शामिल हैं।
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 28 हजार आवेदन हो चुके है रद्द

अभी तक जिलास्तरीय अधिकारी व पीएफएमएस सॉफ्टवेयर से इन दोनों वर्गों के 28 हजार छात्रों के आवेदन अंतिम रूप से रद्द किए जा चुके हैं।
इसके अलावा सामान्य के 2.30 लाख व अनुसूचित जाति के 3.21 लाख विद्यार्थियों के डाटा को संदिग्ध श्रेणी में रखा गया है।
अधिकतर विद्यार्थियों ने ऑनलाइन आवेदन में अपने पिता के नाम की जो वर्तनी लिखी है,
वो हाईस्कूल के अंक पत्र, आय व जाति प्रमाणपत्र में दर्ज नाम से मैच नहीं कर रही है।
नामांकन संख्या, पिछली कक्षा के रिकॉर्ड व बैंक खाता संख्या में भारी गड़बड़ियां मिली हैं।
तमाम विद्यार्थियों ने एक पाठ्यक्रम बीच में ही छोड़कर दूसरे पाठ्यक्रम में प्रवेश ले लिया,
जिसके चलते उनका आवेदन अपात्र श्रेणी में आ गया है।
दो लाख आवेदनों में गंभीर गलतियां
समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि संदिग्ध श्रेणी में से करीब दो लाख विद्यार्थियों का डाटा अंतिम रूप से खारिज हो जाएगा,
क्योंकि इनमें गंभीर गलतियां हैं।
शेष में निर्णय आपत्तियों के संबंध में प्रस्तुत साक्ष्य पर निर्भर करेगा।
छात्रवृत्ति एवं शुल्क भरपाई 26 जनवरी से पहले की जानी है,
इसलिए जिला समाज कल्याण अधिकारियों को संदिग्ध डाटा पर 20 जनवरी तक अंतिम निर्णय लेना होगा।
जिन विद्यार्थियों के डाटा को समाज कल्याण अधिकारी ‘ओके’ कर देंगे,
उन्हें ही लाभ मिलेगा। इन दोनों वर्गों की तरह ही पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक छात्रों के डाटा की भी जांच कराई जा रही है।

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