आरोप-प्रत्यारोप और जोड़-तोड़ की राजनीति के बावजूद नहीं जम रहा है विधानसभा उपचुनाव का माहौल

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राजनीति में कोई भजन करने नहीं आता बल्कि भोजन करने आते हैं। सत्ता की गलियारे में शीर्ष तक पहुंचाने के लिए शाम, दाम, दंड के साथ आरोप प्रत्यारोप का दौर भी चलता रहता है। यह नज़ारा गुजरात विधान सभा के उप चुनाव में निरी आँखों से देखा जा सकता। मतदान की तारीख करीब होने के बावजूद चुनाव प्रचार में वह आकर्षण नहीं दिखाई देता जो दिखना चाहिए। मजबूरन दोनों प्रमुख पार्टियों को सोशल मीडिया का सहारा लेना पड़ रहा है।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि अबडासा की सीट को जीतने के लिए जयंती ठक्कर ऊर्फ डूमरा को जेल से बाहर निकलवाया है। एक समय के कच्छ के दिग्गज नेता डूमरा पर पर भाजपा के पूर्व महामंत्री जयंती भानूशाली की हत्या में शामिल और बैकों के साथ करोड़ो की धोखाधड़ी का आरोप है। जिसके कारण वह पिछले डेढ वर्ष से जेल में बंद थे, परन्तु चुनाव के समय उन्हें अचानक पेरोल पर छोड़ा गया है। शायद भाजपा को अपने हार का अाभास हो गया है इसलिए इस तरह का प्रयास किया जा रहा है।
मोढवाडिया ने कहा कि जयंती डूमरा गत डेढ वर्ष से जमानत पर छूटने का प्रयास कर रहे थे। बैकों के साथ धोखा धड़ी के अलावा भानूशाली की हत्या में शार्पशुटर को पांच लाख रुपये देने का आरोप है। चुनाव के समय ही डूमरा का बीमार पड़ना और जमानत की अर्जी पर सरकार का विरोध न करना यह मात्र संयोग नहीं है। यदि डूमरा बीमार हैं तो प्रशासन को उनका उपचार कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि डूमरा के अलावा कई अपराधी छवि वाले अपराधियों को मुक्त किया गया। कच्छ की अबडासा की बैठक भाजपा को मिले उसमे डूमरा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भूतकाल में डूमरा ने अकेले भाजपा प्रत्याशी को जीत दिलाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। चुनाव के एक दिन पहले मतदाताओं को मूड को बदलने में माहिर हैं।
गुजरात विधान सभा के उप चुनाव में राहुल गांधी की 50 किलोमीटर ट्रेक्टर रैली की योजना होने वाली थी, जिसकी अब संभावना कम है। चुनाव प्रचार की कमान गुजरात प्रदेश के पुराने नेताओं को ही सभालना पड़ेगा। राहुल गांधी के ट्रेक्टर यात्रा से प्रत्याशियों फायदे की उम्मीद थी। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां अपना गढ बचाने के लिए ऐसे नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया है जिन्हे सुनने में किसी को रुचि नहीं है। आठों विधान सभा में छोटी मोटी सभाएं आयोजित की जाती लेकिन लोगों को एकत्रित करना पड़ता और जंहा एकत्रित होते वहाँ सोशल डिस्टेन्स और मास्क के नियमों का खुलेआम उलंघन होता। परिस्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए दोनों प्रमुख पार्टियां सोशल मीडिया के सहारे प्रचार कर रही हैं।
विधान सभा के इस उप चुनाव में प्रचार के अलावा एक दूसरे का मत काटने के लिए पार्टी प्रायोजित उम्मीदवार खड़ा करने का भी आरोप है। अबडासा बैठक पर कांग्रेस समर्थन के मुस्लिमों का वोट काटने के लिए नव निर्दलीय उम्मीदवारों ने नामंकन भरा था, जिसमें सात प्रत्यासियों का नामांकन वापस लेने में कांग्रेस को सफलता मिली है। कांग्रेस का यह प्रयास है कि यह दोनों उम्मीदवार कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी न कर सके।
कपराड़ा में भाजपा प्रत्याशी जीतू चौधरी के विरुद्ध, दादरा और नगर हवेली के निर्दलीय सांसद मोहन केलकर ने अपने साला प्रकाश पटेल को निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में खड़ा किया है। केलकर पहले भाजपा के सांसद रह चुके हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां हर जोड़ तोड़ की राजनीति से जीत हासिल करने में लगी हैं, लेकिन असली हुकुम का पत्ता तो मतदाताओं हाथ में हैं।
ओमप्रकाश यादव अहमदाबाद गुजरात।

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