मध्य प्रदेश: गरीबों के आशियाने को लेकर जिम्मेदारों की बड़ी अनदेखी, प्रभारी आयुक्त बोले जब भुगतान ही नहीं हो रहा तो कैसे हो कार्रवाई

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कटनी. किराये के मकान में रहकर या फिर जमीन न होने के कारण पक्के आशियाने का संपना संजोकर रखने वालों के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास सस्ते दर पर मुहैया कराए जा रहे हैं। इसके तहत शहर में दो स्थान प्रेमनगर व झिंझरी में मल्टी बन रही हैं।
दोनों ही स्थानों पर एक साल पहले भवन बनकर तैयार हो जाने थे। दो बार समय सीमी बढ़ाई गई, इसके बाद भी काम पूरा नहीं है। जानकर ताज्जुब होगा कि प्रेमनगर में 40 फीसदी तो वहीं झिंझरी में अभी महज 30 फीसदी काम ही ठेकेदार ने किया है।
117.46 करोड़ रुपये की लागत से बिलहरी मोड़ झिंझरी में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नगर निगम द्वारा मल्टी का निर्माण कराया जा रहा है। बीआरपी एसोसिएट द्वारा 30 नवंबर 2017 को अनुबंध कराया गया। 18 माह में ठेकेदार द्वारा निर्माण प्रक्रिया पूरी करनी थी। 30 मई 2019 को मल्टी बनकर तैयार हो जाना था और 792 जरुरतमंदों को आवास मिल जाने थे।
मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के बाद से इनके निर्माण काम और अटक गया है। बता दें कि इस काम को देखने के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी नगर निगम में इजिस काम कर रही है। पहले नगर निगम के इंजीनियर, आयुक्त ने भी मामले को लटकाए रखा। अब भुगतान का रोड़ा बना हुआ है।
25 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया
पीएम आवास के निर्माण में धीमी गति की मुख्य वजह भुगतान न होना है। ठेकेदारों को भुगतान न होने से काम बंद किए हुए हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति झिंझरी में बन रहे पीएम आवास की है। ठेेकेदारों का 25 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है।
बता कि झिंझरी में 792 इडब्ल्यूएस, 384 एलआइजी, 336 एमआइज भवन बनने हैं। 7900 वर्गमीटर कॉमर्शियल भूमि बेचकर नगर निगम को जुटाना था निर्माण के लिए राशि, यह फाइल भी भोपाल में अटकी है। यहा हाल प्रेमनगर की कॉमर्शियल भूमि बेचने का है।
यह है प्रेमनगर का हाल
प्रेमनगर में फेज-2 में पीएम आवास की मल्टी बन रही है। यहां पर 1436 इडब्ल्यूएस और 636 एलआइजी भवनों का निर्माण चल रहा है। यहां पर भी ठेकेदार द्वारा मंथर गति से काम किया जा रहा है। इन दिनों यहां पर भी न के बराकर काम चल रहा है।
अभी तक सिर्फ 400 इडब्ल्यूएस आवास तैयार हुए हैं। हालांकि कोरोना के चलते 6 माह की मियाद बढ़ाई गई है, दिसंबर तक काम पूरा करना है, इसके बाद भी तेजी नहीं लाई जा रही। यहां पर अभी सिर्फ एक हजार भवनों का ही आवंट हो पाया है।
इनका कहना है
अशफाक परवेज कुरैशी, प्रभारी आयुक्त
ठेकेदारों का भुगतान नहीं हो रहा तो फिर काम में गति कैसे आएगी। दोनों योजनाओं में लगभग 25 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। जब ठेकेदारों को रुपये ही नहीं मिल रहे तो वे काम कैसे करेंगे। ऐसे में उनको नोटिस देना व कोई कार्रवाई करना भी उचित नहीं हैं। भुगताने कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

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