इंजीनियर की नौकरी छोड़ रंगीन मुर्गी चूजों का किया व्यवसाय (कहानी सच्ची है) ग्रामीण बैक यार्ड कुक्कुट विकास योजना ने दिखाई राह

0

कटनी जिले के हीरापुर कौड़िया के गाताखेड़ा निवासी युवक विमल खन्ना ने बीई कम्प्यूटर साइंस की इंजीनियरिंग डिग्री लेने के बाद नौकरी छोड़कर पशुपालन विभाग की ग्रामीण बैक यार्ड कुक्कुट विकास योजना से रंगीन मुर्गी चूजों के उत्पादन और विक्रय का व्यवसाय अपनाया। पूरी मेहनत और लगन के साथ विमल खन्ना वर्तमान में साढ़े सात लाख रुपये वार्षिक से कहीं ज्यादा आमदनी प्राप्त कर रहे हैं।

इंजीनियर विमल खन्ना ने पशुपालन विभाग से सम्पर्क कर ग्रामीण बैक यार्ड कुक्कुट विकास योजना के तहत गांव में ही एक मदर यूनिट स्वीकृत कराई। जिसमें विभाग की योजना के तहत 20 हजार रुपये की अनुदान राशि तथा एसबीआई सलैया बैंक से 5 लाख रुपये का ऋण लेकर मुर्गी शेड बनाया और मदर यूनिट की स्थापना की। विमल खन्ना को इस यूनिट के लिये नाबार्ड से भी सवा लाख रुपये का अनुदान मिला।
विमल खन्ना एक मदर यूनिट में 13 हजार 500 रंगीन चूजे 25 रुपये के मान से खरीद कर रखते हैं। प्रत्येक चूजे से मान से 16 रुपये का मुर्गी दाना, टीकाकरण, औषधि और परिवहन में खर्च होता है। प्रति चूजे 4 रुपये के लाभांश के साथ एक मदर यूनिट लगा रखी है। जिनसे 3 लाख 24 हजार का लाभ पिछले साल हुआ। रंगीन चूजे तैयार कर विक्रय के व्यवसाय में विमल खन्ना को प्रतिमाह 50 से 60 हजार रुपये के मान से लगभग 7 लाख 20 हजार रुपये से अधिक की आय वर्ष भर में हो जाती है।
कुक्कुट बैकयार्ड की इस योजना से लाभ मिलने से विमल खन्ना की पारिवारिक, आर्थिक स्थिति में परिवर्तन होकर जीवनस्तर में भी सुधार हुआ है। विमल खन्ना द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में एक सफल और आदर्श पॉल्ट्री फॉर्म विकसित कर स्थानीय स्तर पर कैमोर, निजी पॉल्ट्री फॉर्म सहित शासकीय योजना के अन्तर्गत सीधी, अनूपपुर, मण्डला, उमरिया, शहडोल जिले में भी राष्ट्रीय पशुधन मिशन की ग्रामीण बैकयार्ड कुक्कुट विकास योजना के हितग्राहियों को रंगीन मुर्गी चूजे प्रदाय करने का काम मिला हुआ है।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More