अगले 60 दिनों तक हाईअलर्ट पर सेना, LAC पर तंगुस्का, T-72, T-90 टैंक किेए गए तैनात

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*नई दिल्ली: लद्दाख के गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बाद भारत-चीन में तनातनी जारी है। इस बीच एलएसी पर चीन को सबक सिखाने के लिए भारतीय सेना ने फुलप्रुफ प्लान बना लिया है। सेना ने अगले 60 दिनों का पूरा प्लान तैयार किया है। इसके तहत अगले 60 दिनों तक एलएसी पर सेना की कड़ी निगरानी रहेगी। चप्पे-चप्पे पर 10 हजार जवान तैनात रहेंगे। नए प्लान के तहत बोफोर्स,
130 एमएम तोप और सॉल्टम की तैनाती की गई है। इसके अलावा तंगुस्का, टी-90 टैंक और टी-72 टैंक को भी तैनात किया गया है। नई स्ट्रैटजी के मुताबिक गलवान में जवानों की तैनाती बढ़ा दी गई है। वहीं यूनिट में भी बदलाव किया गया है।
वहीं चीन भी एलएसी के इलाकों में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है। एलएसी से लगे तीन राज्यों अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड में लगातार चीन की पीएलए के सैनिकों की आवाजाही बढ़ रही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक पैंगोंग त्सो झील, गलवान वैली के साथ ही पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों में चीनी सेना के जवान बढ़ते जा रहे हैं। पैंगोंग त्सो और गलवान के अलावा डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में भी भारत-चीन के जवान आमने-सामने हैं।
हैरानी की बात यह है कि जहां एक ओर रिपोर्ट मिल रही है कि चीन टकराव वाले इलाकों में सेना की तैनाती बढ़ा रहा है, वहीं चीन का कहना है कि दोनों देश लद्दाख में टकराव वाले स्थानों से हटने पर सहमत हो गए हैं। एलएसी पर कड़वाहट को कम करने के लिए दोनों देशों की सेनाओं के कमांडरों ने भी बातचीत की थी। 22 जून को 14 कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और तिब्बत मिलिटरी डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन के बीच 11 घंटे तक मैराथन मीटिंग चली थी।
सूत्रों ने लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर हुई दूसरी बैठक का ब्योरा देते हुए बताया कि वार्ता सौहार्दपूर्ण, सकारात्मक और रचनात्मक माहौल में हुई और यह निर्णय लिया गया कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से हटने के तौर तरीकों को अमल में लाएंगे। एक सूत्र ने कहा, “पीछे हटने को लेकर परस्पर सहमति बनी है। पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से हटने के तौर-तरीकों पर चर्चा की गई और दोनों पक्ष इसे अमल में लाएंगे।”
बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि स्थिति सहज बनाने के लिए जरूरी कदम उठाने तथा लंबित मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच स्पष्ट और गहराई से बातचीत हुई। सूत्रों ने कहा कि वहां तैनात कमांडर पीछे हटने की विस्तृत रुपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए अगले कुछ हफ्तों में कई बैठकें करेंगे।
समझा जाता है कि छह जून और 22 जून को हुई दोनों बैठकों के आयोजन का अनुरोध चीनी सेना की तरफ से किया गया।
पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ गई थी जब करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच पांच और छह मई को हिंसक झड़प हुई। पैंगोंग सो के बाद उत्तरी सिक्किम में नौ मई को झड़प हुई। झड़प के पहले दोनों पक्ष सीमा मुद्दों का अंतिम समाधान होने तक सीमाई इलाके में अमन-चैन बनाए रखने पर जोर दे रहे थे।

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