अभिभावकों पर आर्थिक चोट: स्कूल की किताबों के खर्चे ने आसमान छुआ

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लॉकडाउन में आर्थिक संकट का सामना कर रहे अभिभावकों के लिए निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के स्कूल बैग (किताब-कॉपी) का खर्च उठाना भारी पड़ रहा है। किताबों की होम डिलीवरी कराई जा रही है। कक्षा नौ से 12 तक के विद्यार्थियों के बैग में एनसीईआरटी की किताबें कम हैं। जिन विषयों की एनसीईआरटी की किताबें हैं, उनकी रिफरेंस बुक भी दी जा रहीं हैं। इससे बैग महंगा होता जा रहा है।
कक्षा 10 की किताबों के लिए अभिभावकों को 4000 से 6000 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। हर स्कूल ने अपने हिसाब से किताबें लगाई हैं। अधिकतर स्कूलों ने एनसीईआरटी की गिनी-चुनी और निजी पब्लिशर्स की अधिक किताबें लगाई हैं। सीबीएसई प्रति वर्ष एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई कराने का निर्देश जारी करता है, इसके बाद भी मनमानी की जा रही है।
रिफरेंस बुक की बाध्यता न हो
स्कूलों को एनसीईआरटी की किताबें लगानी चाहिए। लेकिन, स्कूल इन किताबों के साथ रिफरेंस बुक भी लगा देते हैं, इनसे विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में मदद मिलती है। रिफरेंस बुक के लिए बाध्यता नहीं होनी चाहिए। -रामानंद चौहान, शहर समन्वयक, सीबीएसई 
जो किताबें मिल रहीं उन्हें पहुंचा रहे
एनसीईआरटी की किताबें नौ से 12वीं तक कक्षाओं में लगाई जाती हैं। किताबों की उपलब्धता कम है। जो किताबें मिल रही हैं, उन्हें विद्यार्थियों तक पहुंचाया जा रहा है। -संजय तोमर, अध्यक्ष, नप्सा
एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध करानी चाहिए
जिन विषयों की एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध हैं, उन्हें विद्यार्थियों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। अधिकतर विषयों की किताबें उपलब्ध भी हैं। कुछ विषयों में रिफरेंस बुक लगानी पड़ती है।  -डॉ. सुशील चंद्र गुप्ता, अध्यक्ष, अप्सा
सूत्रों के मुताबिक प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों में कमीशन अधिक मिलने से किताबें लगाई जा रही हैं। कक्षा 11 और 12 की एनसीईआरटी की जो किताबें 100-125 रुपये में हैं, उन्हीं विषयों की प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें 400-500 रुपये की हैं।

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