बिहार (पटना) : नेता जी कुछ तो लाज करो! तुम्हारे लिए होगी गर्व की बात पर देश के लिए है शर्मनाक

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नेताजी शर्म से डूबने के बजाय ज्योति के घर जाकर उसे भगवा पहना रहे है! मानो उसे ट्रेन की टिकट ना देकर और उस बच्ची से 1200 किलोमीटर साइकिल चलवा कर बीजेपी ने बहुत बड़ा तीर मार लिया है।ज्योति पासवान की कहानी व्यक्तिगत साहस और राष्ट्रीय शर्म की दास्तान है। बाप को कोरोना में काम नहीं मिला। भूखे मरने की नौबत आई तो सामान बेचकर बेटी ने पुरानी साइकिल ख़रीदी और पिता को लादकर 1200 किमी दूर गाँव ले गई।
दो दिन दोनों भूखे रहे। कोई राष्ट्र इस पर गर्व कैसे कर सकता है?
ये गर्व नहीं मोदी की खोखली व्यवस्था का खोखला कड़वा सच है जो इस लाक डाउन में सबके सामने आया!
अपने पिता को साइकल पर बिठाकर गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा अपने घर पहुंची 15 साल की ज्योति लगातार सुर्खियों में हैं। ज्योति ने 7 दिनों में हरियाणा के गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा तक 1200 किलोमीटर का सफर ​साइकल से तय किया। ज्योति के इस साहसिक कदम को देखते हुए भारतीय साइकलिंग फेडरेशन ने उन्हें ट्रायल के लिए दिल्ली बुलाया है।
यही नहीं ज्योति की मदद के लिए और कई हाथ उठने लगे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने भी ज्योति के इस कदम को सराहा है। ज्योति के इस साहसिक कदम को लेकर नवभारत टाइम्स ने उनसे बात की है। ज्योति ने बताया कि 8 मई को वो अपने पिता के साथ गुरुग्राम से चले थे और 15 मई को बिहार पहुंच गए। इस दौरान रास्ते में लोग खाने-पीने को दे रहे थे। ज्योति ने बताया कि पापा ने भी साइकल से जाने के लिए मना किया
लेकिन हमने कहा कि नहीं पापा हम आपको ले चलेंगे। यहां आने पर हमें 20 हजार रुपये दिया गया, साथ ही कहा गया कि पढ़ाई का खर्चा उठाएंगे। दिल्ली से भी फोन आया, उन्होंने साइकल पर रेस लगाने के लिए कहा, लेकिन मैंने कहा कि अभी मैं रेस नहीं लगा सकती हूं,
मुझे थोड़ा समय चाहिए। उन्होंने मुझे एक महीने का समय दिया है। ज्योति ने बताया कि उन्होंने फोन पर कहा कि वो मुझे वहीं पर रखेंगे और वहीं पढ़ाएंगे-लिखाएंगे। हम पढ़ना भी चाहते हैं। मेरी पूरी इच्छा है कि मैं साइकल पर रेस लगाऊं। मैं कुछ बनना चाहती हूं। लगातार हो रही तारीफ से अच्छा लग रहा है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा दिन आएगा।

राष्ट्रीय जजमेंट संवाददाता अशोतोश मिश्रा , पटना 

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