तिलमिलाते पेट और लड़खड़ाते कदम, कैसे भी घर पहुंच जाएं, अब न जाएंगे परदेश।
कासगंज: ये कहना उन तमाम प्रवासी श्रमिकों/कामगारों का है जो दो वक्त रोटी कमाने अपने घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर परदेश को गए। कोरोना आपदा के चलते अब इनको बापस अपने घर लौटना पड़ रहा है।

