मायावती ने लोकसभा चुनाव में हार का ठीकरा अखिलेश यादव पर फोड़ा
लखनऊ। बसपा प्रमुख मायावती ने सियासी विवशताओं का हवाला देते हुए आने वाले विधानसभाउप चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया है।
मायावती ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को अपने कैडर में सुधार औरकार्यकर्ताओं को मिशनरी बनाने की शर्त रखी है। कहा-
यदि सपा प्रमुख अपने लोगों को बसपा कैडर की तरह मिशनरी बनाने में कामयाब हो गए तो आगे साथ चल सकते हैं। मायावती ने इशारों में साफ किया कि उत्तरप्रदेशमें गठबंधन टूट चुका है।
मायावती ने कहा कि पुराने गिले शिकवे भुलाकर और खुद बड़ी होने के नाते मैंने अखिलेश यादव को परिवार का सदस्य माना। यह रिश्ते स्वार्थ के लिए नहीं हैं।आगे भी रहेंगे।
लेकिन राजनीतिक विवशताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के जो परिणाम उभरकर आए हैं, बड़े दुख के साथ कहना चाहती हूं कि सपा का बेस वोट (यादव जाति) बसपा को ट्रांस्फर नहीं हुआ।
सपा में भितरघात हुआ है। नतीजा मजबूत उम्मीदवार भी हार गए। खासकर कन्नौज में डिंपल यादव, बदायूं धर्मेंद्र यादव और
फिरोजाबाद में अक्षय यादव की हार बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है। ईवीएम में गड़बड़ियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इन लोगों की हार का मुझे दुख है।
मायावती ने कहा किइसी संदर्भ में कल दिल्ली में चुनाव परिणामों की समीक्षा की गई। बसपा अंबेडकर के विचारों पर चलने वाली अनुशासित पार्टी है।बड़े मानवता वादी लक्ष्यों को लेकर यह चुनाव लड़ा गया था।
लेकिन, सफलता नहीं मिली है। सपा के लोगों में सुधार लाने की जरूरत है। भाजपा की घोर जातिवादी सोच से देश औरप्रदेश को मुक्ति दिलाने के लिए सख्त जरूरत है। जिसका एक अच्छा मौका, इस चुनाव में सपा ने गंवा दिया।
मायावती ने कहा कियदि मुझे लगेगा किसपा प्रमुख राजनीतिक कारणों से अपने लोगों को मिशनरी बनाने में कामयाब हो गए तो आगे चलकर साथ रह सकते हैं। अगर वे कामयाब नहीं होते हैं तो साथ चलना मुश्किल होगा।
वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए उप चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। मायावती ने मीडिया में आई खबरों का खंडन किया। कहा कि, बसपा ने कोई ऑफिशियल बयान जारी नहीं किया था, बावजूद इसके मेरी तरफ से बयानबाजी की गई।
-
बसपा नेता सुखदेव राजभर ने कहा कि पार्टी प्रमुख मायावती ने बैठक में कहा कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन (सपा-बसपा) के परिणाम संतोषजनक नहीं थे। सपा और बसपा दोनों को नुकसान का सामना उठाना पड़ा।
-
इसे कैसे ठीक किया जाए, इस पर विचार करने पर जोर दिया गया है। राजभर ने कहा कि मैं अखिलेश यादव का सम्मान करता हूं और ऐसा करना जारी रखूंगा। लेकिन यह भी पुनर्विचार करें कि, क्या उनके समुदाय के लोगों ने उनका समर्थन किया?
-
सपा विधायक हरिओम यादव ने कहा कि गठबंधन से केवल मायावती को फायदा हुआ, समाजवादी पार्टी को भारी नुकसान हुआ। अगर गठबंधन नहीं होता, तो मायावती 0 पर होतीं और सपा 25 सीटें जीतती। यादव समुदाय ने उन्हें वोट दिया, लेकिन बहनजी का वोट शेयर भाजपा में चला गया।
-
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने गठबंधन के टूटने की खबरों पर दुख जताया है। उन्होंने टि्वट कर बसपा प्रमुख मायावती पर निशाना साधा है।
-
कहा- मायावती का रुख जानकर बहुत दुख हुआ। शास्त्र में कहा गया है कि जो सम्मान पचाना नहीं जानता वो अपमान भी नहीं पचा पाता।
-
मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने गठबंधन टूटने की खबरों को अफवाह बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर बयान जारी कर कहा कि, दिल्ली में हुई बैठक में यूपी इकाई के अध्यक्ष आरएस कुशवाहा और
-
अन्य पदाधिकारियों को बसपा प्रमुख मायावती ने गठबंधन को जमीनी स्तर पर और मजबूत बनाने के लिए गठित की गई भाईचारा समितियों को आगे भी काम करने रहने को कहा है।
-
उप चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने की बात भी गलत है। बसपा ने गठबंधन को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है। बैठक में सिर्फ ईवीएम व हार के कारणों की समीक्षा हुई है।