बैंक से मिला हार्टअटैक तो अजय ने शहद से संवारी जिंदगी; 8 साल में तैयार किए 6 फ्लेवर, टर्नओवर 30 लाख का

राष्ट्रीय जजमेंट

गोरखपुर: आमतौर पर मधुमक्खियों की भिनभिनाहट लोगों को दहशत में ला देती है. लेकिन, इन्हीं मधुमक्खियों का बनाया शहद सेहत के लिए काफी गुणकारी है. कहते हैं जिसने शहद को रोज अपनी डाइट में शामिल कर लिया, उसकी आधी से ज्यादा बीमारियां अपने आप खत्म हो जाती है.वैसे, आज हम शहद के बारे में नहीं उस शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको प्राइवेट बैंक की नौकरी ने इस कदर तनाव दिया की उसे हार्टअटैक पड़ गया. लेकिन, उसने हार नहीं मानी और इन्ही मधुमक्खियों के शहद के सहारे अपने जीवन को संवार रहे हैं.हम बात कर रहे हैं, गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीएससी करने वाले अजय उपाध्याय की, जिन्होंने 2017 में एक प्राइवेट बैंक में नौकरी शुरू की थी. काम के दबाव के कारण वह हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हुए और 2019 में उन्हें हार्टअटैक आ गया. जीवन बच गया लेकिन, वह फिर नए सिरे से जब काम की तलाश में जुटे तो उन्होंने निर्णय लिया कि अब वह अपना काम शुरू करेंगे जिसमें खुद पर खुद का दबाव होगा, किसी और का नहीं.फिर उन्होंने मधुमक्खी पालन कर शहद की पैदावार शुरू की और अपनी कंपनी की नींव डाली. वह पीएम मोदी के स्टार्टअप इण्डिया से भी प्रभावित थे. धीरे-धीरे उन्होंने गोरखपुर में पैदावार के साथ प्रोसेसिंग यूनिट लगाई. अच्छे और विभिन्न प्रकार और स्वाद के लिए वह राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और जम्मू-कश्मीर तक शहद निकालने निकल पड़े.अजय उपाध्याय की कंपनी के पैक्ड शहद.6 राज्य से 6 प्रकार का शहद: अजय राजस्थान के अलवर से सरसों का शहद, पंजाब के गुरदासपुर से लीची और हिमाचल प्रदेश के ऊना से मल्टी फ्लोर का शहद इकट्ठा करते हैं. कश्मीर से आकाशिया शहद इकट्ठा करते हैं, जो विश्व का सबसे अच्छा और उच्च स्तरीय शहद होता है. इसी प्रकार वह अजवाइन और नीम का शहद गुजरात और राजस्थान के बॉर्डर क्षेत्र से इकट्ठा करते हैं.काम चला तो अजय ने गाजियाबाद में कंपनी का मार्केटिंग ऑफिस बनाया. धीरे-धीरे मधुमक्खी पालन का काम मजबूत होता गया. शहद की ट्रेडिंग और शहद का एक्सपोर्ट कई प्रदेश में करने लगे. देश के बाहर यानी विदेश भेजने के लिए भी उन्होंने लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया है.8 साल में 50 लाख का टर्नओवर: कारोबार को आगे बढ़ाते हुए अजय को करीब 8 साल हो गए हैं. उनका टर्नओवर भी 30 से 50 लाख के करीब जा पहुंचा है. वह कहते हैं, अच्छी सेहत के लिए उन्हें बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. तैयार माल बेचना भी कठिन है. क्योंकि, बाजार में कई बड़े ब्रांड के शहद उपलब्ध हैं. हालांकि, वह अपने ब्रांड और किसानों से सीधे खरीदे गए शहद को सबसे उच्च गुणवत्ता का बताते हैं.वह कहते हैं कि बाजार में बिकने वाला अधिकांश शहद मानक पर खरे नहीं उतरते. इसके पीछे का उन्होंने तर्क दिया कि देश में सिर्फ 50 मिट्रिक टन शहद किसान पैदा करते हैं जबकि, प्रधानमंत्री मोदी भी अपने मन की बात में 179 मिट्रिक टन शहद के एक्सपोर्ट की बात करते हुए, शुद्ध शहद की खरीदारी के लिए किसानों के साथ सीधे तौर पर जुड़ने का आह्वान कर चुके हैं.कैसे पहचानें असली शहद: अजय कहते हैं की असली शहद की पहचान बहुत आसान है. जो असली होगा वह घी की तरह जम जाएगा चीनी की तरह नहीं. उन्होंने एक स्लोगन दिया है कि “सोम हो या शनि रोज खाओ हनी”. वजह यह है कि 20 ग्राम शहद का प्रतिदिन सेवन इंसान की इम्युनिटी मजबूत करेगा. उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. यह जोड़ों के दर्द में भी फायदेमंद होता है.गाजियाबाद में शहद कलेक्ट, गोरखपुर में प्रोसेसिंग: अजय देश के जिन हिस्सों से खेतों से शहद इकट्ठा करते हैं उसे पहले गाजियाबाद और फिर अपनी प्रोसेसिंग यूनिट गोरखपुर लेकर आते हैं. यहां कई चरणों की प्रोसेसिंग के बाद पैकेजिंग और मार्केटिंग की प्रक्रिया आगे बढ़ती है. इनका प्रोडक्ट कई मार्केटिंग साइट से भी लोगों के घरों तक पहुंचता है तो तमाम व्यापारी सीधे तौर पर भी इनसे माल खरीदते हैं.शहद प्रोसेसिंग का बड़ा प्लांट लगाने की तैयारी: अजय कहते हैं कि तकनीक हमें प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग, पैकेजिंग, मार्केटिंग में बड़ा योगदान करती है. फिलहाल इस कार्य के लिए उन्हें किसी भी तरह से सरकारी मदद लेने की आवश्यकता नहीं पड़ी है. परिवार का इसमें पूरा सहयोग है. उनके पिता सेवा में थे जो अब नहीं रहे. घर के इकलौते पुत्र के रूप में वह इस व्यापार को आगे बढ़ा रहे हैं. अपने गांव की जमीन में एक बड़े प्लांट को लगाने की तैयारी कर रहे हैं.शहद कारोबार से 65 की चल रही दाल-रोटी: उनके कारोबार से सीधे तौर पर 15 लोग जुड़े हैं तो किसान की संख्या भी 50 से काम नहीं है. जो राजस्थान से लेकर कश्मीर तक फैले हैं. वह कहते हैं कि उन्हें कश्मीर में भी शहद निकालने में कोई परेशानी नहीं होती. जिस किसान से वह जुड़े हैं वह उनके कारोबार में पिछले 6 साल से भरपूर सहयोग कर रहे हैं.हर शहद की अलग मिठास, अलग रंगमस्टर्ड शहद; इस शहद को सरसों के फूल से निकाला जाता है, जिसका क्षेत्र राजस्थान होता है. यह हल्का पीले रंग का होता है. प्रोसेसिंग करने के बाद 72 घंटे के भीतर यह बोतल में जम जाता है. पूरी तरह क्रिस्टलाइज हो जाता है. विदेश में इसकी बड़ी डिमांड है.मल्टी फ्लोर शहद; यह शहद कढ़ी पत्ता, शीशम और जड़ी बूटियां से तैयार होता है. यह गोल्डन ब्राउन जैसा दिखता है जो हिमाचल प्रदेश उन क्षेत्र से आता है जहां कढ़ी पत्ता, शीशम और जड़ी बूटियां बहुतायत में होती है, फिर यहां प्रोसेस किया जाता है.आकाशिया शहद; यह कश्मीर का शहद है जो पूरे सफेद रंग का होता है. यह कीकर के फूल के साथ-साथ, बादाम, अखरोट, सेब के फूल से निकाला जाता है.अजवाइन शहद; राजस्थान और गुजरात के बॉर्डर पर होने वाली अजवाइन की खेती से इस शहद को निकाला जाता है. इसका सेवन पेट दर्द और अन्य समस्याओं में लाभकारी होता है. इसका रंग हल्का भूरा होता है.नीम शहद; यह सहसवान और बदायूं में नीम की खेती से तैयार किया जाता है. यह डार्क ब्लैक रंग का होता है. यह भी मीठापन रखता है लेकिन महक में नीम का असर होगा.सूरजमुखी शहद; इसे हरियाणा में अंबाला के पास से निकाला जाता है. यह लाइट रेड कलर का होता है.शहद के साथ उसका वैक्स भी उपयोगी: अजय बताते हैं कि शहद तैयार करने के लिए रानी मक्खी को सबसे उपयोगी माना जाता है. यह शहद को तैयार करने के साथ पोषक तत्वों से इसे जोड़ती है. ऐसे में जब इंसान इसका सेवन करेगा तो स्वाभाविक है, वह स्वस्थ होगा और लंबी उम्र पाएगा. मधुमक्खी से सिर्फ शहद ही नहीं प्राप्त होता. प्रोसेस करते समय निकलने वाले वैक्स को भी खाया जाता है. सौंदर्य प्रसाधन को तैयार करने में भी इसका इस्तेमाल होता है.कैंसर और जोड़ों के दर्द में शहद लाभकारी: अजय बताते हैं कि बी पोलन, बी वेनम कैंसर और जोड़ों के दर्द में लाभकारी होता है. पॉलिश और रॉयल जेली भी मधुमक्खी से प्राप्त होता है. जो विभिन्न प्रकार से उपयोगी है. पर पॉलिश से एथलीट के कैप्सूल तैयार होते हैं. उन्होंने शहद के गुण को दोहराते हुए कहा कि असली शहद कभी खराब नहीं होता. इसकी कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती.अब विदेश में निर्यात करने की तैयारी: अजय बताते हैं कि उनका ब्रांड आइएसओ सर्टिफाइड है और पूरे देश में बिक रहा है. NBB यानी नेशनल बी बोर्ड से भी इसे मान्यता है. प्रतिवर्ष उनका प्रोडक्शन करीब 30 टन का है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसे भेजने के लिए उन्होंने APEDA के लाइसेंस के लिए आवेदन कर रखा है. 25 से 29 सितंबर के बीच नोएडा में होने वाले इंटरनेशनल एक्सपो में इस बार भी उनका स्टाल लगेगा.कश्मीरी शहद सबसे महंगा: अजय बताते हैं कि पिछले वर्षों में भी उन्होंने अपने ब्रांड का प्रदर्शन किया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके प्रोडक्ट और स्टॉल पर आए थे और सराहना की थी. उनके 6 प्रकार के शहद की कीमत 1000 से 2000 रुपए किलो तक है. कश्मीरी शहद सबसे महंगा है. शुद्धता के लिए किसानों से शहद का उत्पादन लेना. प्रोसेसिंग, ट्रांसपोर्टेशन, पैकेजिंग, शहर के मूल्य को बढ़ाते हैं.डॉक्टर भी शहद को मानते हैं गुणकारी: अजय के इस स्वास्थ्य संबंधी लाभ के विषय पर गोरखपुर के चिकित्सक डॉ. आनंद सिंह भी मोहर लगाते हैं. वह कहते हैं कि शहद की महत्ता का वर्णन ऋषि मुनि भी करते हैं. मेडिकल साइंस में भी इसे बेहतर इम्यूनिटी बूस्टर माना जाता है. आज के दौर में जब फास्ट फूड का चलन बढ़ गया है तो लोगों की रोगों से लड़ने की क्षमता भी घट रही है. ऐसे में हर रोज डेढ़ से दो चम्मच शहद का सेवन किया तो निश्चित रूप से उन्हें काफी लाभ मिलेगा.

 

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