दवाओं के साथ योग,संतुलित आहार और मानसिक परामर्श को भी बनाया गया इलाज का हिस्सा
राष्ट्रीय जजमेंट
लखनऊ।किडनी रोगियों के लिए राहत भरी खबर है। अब इलाज केवल दवाओं पर निर्भर नहीं रहेगा बल्कि योग पोषण और मानसिक परामर्श को भी इलाज का हिस्सा बनाया जा रहा है। इस दिशा में डॉ गुलाब झा ने एक अभिनव पहल की है जिसे (समग्र किडनी देखभाल) नाम दिया गया है। इस पहल के तहत मरीजों को दवाओं के साथ-साथ योगाभ्यास संतुलित आहार संबंधी सलाह और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा परामर्श भी उपलब्ध कराया जाएगा।
डॉ. गुलाब झा, एम०डी०, डीएम (नेफ्रोलॉजी), एसजीपीजीआईएमएस एवं केजीएमयू लखनऊ से प्रशिक्षित वरिष्ठ किडनी एवं ट्रांसप्लांट रोग विशेषज्ञ हैं। वे विगत कई वर्षों से किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU), लखनऊ में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। डॉ. झा किडनी रोगों के उपचार में चिकित्सा के साथ-साथ समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के समर्थक रहे हैं।
डॉ झा का मानना है कि दवाएं सिर्फ शारीरिक लक्षणों पर असर करती हैं जबकि रोगी की संपूर्ण स्वास्थ्य दशा में सुधार लाने के लिए मानसिक और भावनात्मक संतुलन भी उतना ही आवश्यक है। एम्स रायपुर द्वारा वर्ष 2025 में किए गए एक अध्ययन का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि नियमित योगाभ्यास करने वाले किडनी रोगियों की जीवन गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।
उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक किडनी रोग यानी क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) के मरीजों को जीवनभर इलाज की ज़रूरत पड़ती है और ऐसे में उन्हें मानसिक रूप से मज़बूत रखना भी उतना ही ज़रूरी है जितना कि दवा देना। इसी सोच के साथ यह समग्र चिकित्सा मॉडल तैयार किया गया है जिसमें तीन प्रमुख सहायक उपाय शामिल हैं: पहला योग और ध्यान दूसरा पौष्टिक आहार का मार्गदर्शन और तीसरा मानसिक स्वास्थ्य परामर्श।
डॉ गुलाब झा ने बताया कि इस मॉडल को अब विभिन्न अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में लागू करने की योजना है ताकि अधिक से अधिक मरीजों को लाभ मिल सके। इस पहल से जुड़ी जानकारी के लिए लोग उनसे ईमेल के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं।
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