सुप्रीम कोर्ट ने मेट्रो कार्य से बेघरों के आश्रय गृह बंद करने पर जांच के दिए आदेश, दो सप्ताह में जांच कर रिपोर्ट देगी नालसा

याचिका में आनंद विहार और सराय काले खां में आठ रैन बसेरों को बंद किए जाने का मुद्दा उठाया

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) के निर्माण कार्य के कारण आनंद विहार और सराय काले खां में आठ आश्रय गृहों को बंद करने के मुद्दे पर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) को जांच करने और दो सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। यह आदेश 2003 में दायर ईआर कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आया।

प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस एनवी अंजारिया और जस्टिस आलोक अराधे की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि आनंद विहार और सराय काले खां में स्थित आठ आश्रय गृहों के बंद होने से सैकड़ों बेघर लोग प्रभावित होंगे। उन्होंने बताया कि छह आश्रय गृह पहले ही बंद हो चुके हैं, और अब प्राधिकरण इन आठ अन्य आश्रय गृहों को भी बंद करने की योजना बना रहे हैं, जहां वर्तमान में एक हजार से अधिक बेघर लोग रह रहे हैं।

दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड ने डीएमआरसी के चल रहे निर्माण कार्य के लिए इन आश्रय गृहों को स्थानांतरित करने की अनुमति दी है और वैकल्पिक स्थलों की पहचान भी कर ली गई है। हालांकि, भूषण ने कोर्ट को बताया कि रात के समय इन आश्रय गृहों में रहने वालों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होती है, जिसे ध्यान में रखते हुए जांच जरूरी है।

पीठ ने नालसा को निर्देश दिया कि वह आश्रय गृहों के स्थानांतरण की स्थिति का निरीक्षण करे और दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि निरीक्षण रात 8 बजे के बाद किया जाए, ताकि आश्रय गृहों में रात के समय रहने वाले लोगों की वास्तविक स्थिति का आकलन हो सके।

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