21वीं सदी में बदल गयी ‘राष्ट्रवाद’ की परिभाषा

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21वीं सदी में हमारे भारत देश मे जहां बहुत कुछ बदल गया है और साथ ही बदली है राष्ट्रवाद की परिभाषा लेकिन ये वो राष्ट्रवाद नहीं है जिसको बनाए रखने के लिए भगत सिंह, चंद्रशेखर, बोस, गांधी ने खुद को संघर्ष की तपिश में तपाया था।
ये अटल-आडवाणी के युग से बाहर निकली बीजेपी का राष्ट्रवाद है, जिसमें चेहरा और नाम पार्टी और देश दोनों से बड़ा है। और उस नाम और चेहरे की आलोचना या फिर सवाल पूछना देशद्रोह की नई परिभाषा गढ़ता है।
अपने तरीके से राष्ट्रवाद की इस परिभाषा को गढ़ उस पैमाने से बाहर के लोगो को देशद्रोही ठहराने वाली बीजेपी अब लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व में अपनी भूमिका मजबूत बनाने के लिए हर हथकंडे अपना रही है। एक कार्यक्रम में पहुंचे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी को राष्ट्रवादी बता पूरे विपक्ष को आतंकवादी बता दिया।
योगी ने कहा कि ये लड़ाई राष्ट्रवाद बनाम आतंकवाद है. सत्ता के संग्राम में विजय के लिए विपक्ष पर आरोपों की हद को आतंकवाद तक पहुंचा देने वाले इस बयान को लेकर विपक्ष तिलमिला उठा है। काग्रेस और सपा ने इस बयान को अमर्यादित बताते हुए चुनाव आयोग से इस मामले में कार्यवाही करने की मांग की है।
बीते 5 सालों में भारत की तस्वीर बदलने का दावा सरकार करती रही है. नया भारत मजबूत और शक्तिशाली है, ये बीजेपी नेताओं के बयान में अक्सर सुनने को मिलता रहता है. लेकिन एक पहलू ये भी है कि
असहिष्णुता के मुद्दे पर बीजेपी के ऊपर आरोप लगते रहे हैं, जो भी भाजपा की विचारधारा से सहमत नहीं उसको पाकिस्तान भेजने की सलाह, और अगर सरकार के फैसलों पर सवाल उठा दिया, उसे देशद्रोही बताने का चलन सा हो गया है।
विपक्ष के आरोपो से अलग बीजेपी के नेता इस बयान को आम जन में राष्ट्रवाद के प्रति समर्पण भाव जगाने के लिए जरूरी बता रहे हैं।
अब योगी आदित्यनाथ ने इससे भी आगे जाकर समूचे विपक्ष को आतंवादी करार दे दिया है। हिंदुत्व के आइकॉन माने जाने वाले योगी का मानना है कि 2019 का लोकसभा चुनाव राष्ट्रवाद बनाम आतंकवाद और ईमानदारी बनाम भ्रष्टाचार के बीच होगा।
एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में बिना भेदभाव के काम करने व त्वरित निर्णय लेने वाला नेतृत्व है तो दूसरी ओर देश को अस्थिरता और टूटन की ओर ले जाने वाला विपक्ष।
35-37 सीटों पर चुनाव लड़ने वाले सत्ता पाने का सपना देख रहे हैं। यह भी नहीं पता कि उनका नेतृत्व कौन करेगा। अकेले योगी ही नहीं है जो विपक्ष को आतंकवादी करार दे रहे हैं। बीजेपी के गिरिराज सिंह रामविलास वेदांती जैसे नेता भी इसे परिपाटी बना अपने इस लड़ाई को राष्ट्रवाद बनाम आतंकवाद बता रहे हैं।
रामविलास वेदांती का कहना है कि ये चुनाव ‘राष्ट्रवाद बनाम आतंकवाद’ के मुद्दे पर लड़ा जाएगा। एक तरफ जहां आतंकवाद का समर्थन करने वाली कांग्रेस, सपा, बसपा और टीएमसी जैसी पार्टियां हैं। वहीं दूसरी तरफ मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रवादी खड़े हैं। अब जनता को चुनना है कि उन्हें आतंकवाद के सामने मजबूत सरकार चाहिए या मजबूर सरकार।
सपा ने योगी के इस बयान की कड़ी आलोचना की है। सपा का कहना है कि सत्ता बनाये रखने के लिए ये किसी भी हद तक जा सकते हैं। विपक्ष को आतंवादी बताकर बीजेपी अपनी खोखली और ओछी मानसिकता का ही परिचय दे रहे हैं। चुनाव आयोग को इसमें हस्तक्षेप कर ऐसे बयान देने वालों पर कार्यवाही करनी चाहिए।
कांग्रेस ने भी सपा की बात का समर्थन करते हुए कहा है कि बीजेपी की नीति ही रही है कि जो उसके खिलाफ है, उसे वो देशद्रोही करार दे देती हैं। चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि ऐसे गलत और लोगों को गुमराह करने वाले बयानों पर रोक लगाये। हार की बौखलाहट में बीजेपी नेता इस तरह के बयान देकर अपनी हताश प्रकट कर रहे हैं।
वहीं यूपी के लोग योगी की बात से इत्तेफाक नहीं रखते। उनका मानना है कि लोकतंत्र में बयानों और भाषणों में नैतिकता दिखनी चाहिये। भले ही सियासी विचारधारा अलग-अलग हो लेकिन किसी पार्टी को आतंकवादी ठहरा देना एकदम गलत है। अपनी जीत के लिए पार्टियों को मर्यादा का एक स्तर बनाकर रखना चाहिए।

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