अलीगढ़ जहरीली शराब कांड में तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी समेत 26 कर्मी दोषी

अलीगढ़ जहरीली शराब के सेवन से जिले में 106 लोगों की मौत के लिए तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी समेत 26 अफसर-कर्मचारी दोषी ठहराए गए हैं। इनमें तत्कालीन तीन आबकारी निरीक्षक, चार प्रभारी निरीक्षक, दो थाना प्रभारी, तीन चौकी इंचार्ज, पांच आबकारी सिपाही व आठ पुलिस के आरक्षी शामिल हैं।

इनकी लापरवाही के चलते बिकी जहरीली शराब ने पिछले साल मई माह में मौत का तांडव दिखाया। कई गांव-गांव में हा-हाकार मच गया था। मुख्य सरगना समेत 85 आरोपित जेल में हैं। एक की मौत हो चुकी है। एक जमानत पर है। पूरे प्रदेश को हिला देने वाले इस कांड की मजिस्ट्रेटी जांच अब पूरी हो गई है। जांच अधिकारी ने रिपोर्ट में कहा है कि अगर यह जिम्मेदार अफसर व कर्मचारी सतर्कता बरतते तो यह घटना रोकी जा सकती थी।

जिला अधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने शासन को जांच रिपोर्ट भेज दी है। इस पर कार्रवाई का निर्णय शासन स्तर से होना है।शराब हुईं मौतों को लेकर राजनीति भी खूब गरमाई। विपक्ष ने भी सरकार को कठघरे में खड़ा किया था। सरकार ने भी आरोपितों पर सख्त कार्रवाई की। सौ करोड़ से अधिक की सपंत्ति जब्त की गई। शराब के ठेकों व आरोपितों के ट्यूबवेल पर बुलडोर भी चलाया। सभी को मजिस्ट्रेटियल जांच का इंतजार था।

जांच अधिकारी व एडीएम प्रशासन डीपी पाल ने पुलिस, राजस्व, आकबारी विभाग व मृतकों के स्वजन के बयान लिए। ग्रामीण व पोस्टमार्टम में लगे डाक्टरों के भी बयान लिए गए। अखबार की कतरन, जन साधाराण लोग, एफआइआर का भी सहयोग लिया गया। इसमें पता लगा कि जिले की कुछ शराब की दुकानें ऐसे लोगों के हाथों में थी, जिनके द्वारा डिस्टेलरी से गुड इवनिंग ब्रांड की देशी शराब के साथ-साथ नकली रैपर, बोतल, बार कोड का उपयोग कर नकली शराब तैयार कराई जा रही थी। इस शराब की बिक्री आरोपितों की दुकानों पर होती थी।

एक संगठित गिरोह पिछले काफी समय से इस गोरखधंधे को संचालित कर रहा था। जहरीली शराब की आपूर्ति की गई। यह मामला पुलिस व आबकारी विभाग के संज्ञान में तो था ही, साथ ही प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष सहयोग से ही अवैध शराब के निर्माण व बिक्री की व्यवस्था संचालित की जा रही थी। आबकारी व पुलिस विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों ने शासकीय दायित्वों का पालन न करते हुए घोर लापरवाही की है। इसके लिए दोनों विभागों के संबंधित जिम्मेदार प्रथम दृष्टया दोषी हैं।

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