वसूली में मशगूल यातायात पुलिस,-नो एंट्री में वाहनों का प्रवेश दे रहा जानमाल को चुनौती

किसके संरक्षण में सवारियां को ढोरहे बिना परमिट मैजिक वाहन

कटनी:- नासूर बनी शहर की बिगड़ैल यातायात व्यवस्था को सुरक्षित ढंग से संचालित किये जाने हेतु जिला प्रशासन द्वारा किए जाने वाले हर एक प्रयासों को पतीला लगाने में स्वयं यातायात पुलिस विभाग ही कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है.?

राजनैतिक कृपापात्र यातायात प्रभारी महोदय की नाक के नीचे फर्राटे भरते बिना परमिट वाले मैजिक वाहन चालकों की रोकथाम और उनके विरुद्ध कार्यवाही करते से कतराती यातायात पुलिस विभाग की भारी भरकम फौज खुद को लाचार और बेबस महसूस करती है तो इसके पीछे यातायात प्रभारी महोदय का अपना निजी स्वाहित ही है आम चर्चा यह भी है कि जिले में पिछले पांच सालों से पदस्थ यातायात प्रभारी सूबेदार महोदय के खासमखास इकलौता नगर सैनिक के भरोसे चल रही है

शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी और असुरक्षित हो गई है राहगीरों के मन में हमेशा डर बना रहता है कि ना जाने कब किस जगह से फर्राटे भरते हुए निकला मालवाहक छ: चका बनाम चार चका वाहन या फिर बिना परमिट वाले मैजिक वाहन उन्हें ठोकर मारकर चोटिल ना कर दे|उल्लेखनीय यह भी है कि शहर की सड़कों पर बेखौफ ढंग से दौड़ रहे बिना परमिट वाले मैजिक वाहन चालकों द्वारा मिशन तिराहे पर यातायात पुलिस चौकी के सामने दिनभर ना सिर्फ सवारियों को जानवरों की तरह ठूस ठूंसकर भरा जाता है

बल्कि शहर की विभिन्न निजी और शासकीय स्कूलों के बच्चों को भी ढोया जाता है बावजूद इसके ना तो कभी यातायात पुलिस विभाग के जवान इनकी जांच पड़ता करने की हिम्मत जुटा पाते हैं और ना और लोड वाहनों पर किसी तरह से कोई कार्यवाही की जाती है| एसी कमरों में बैठकर यातायात संचालन पर नजरें रखने का दावा करने वाले आला अधिकारियों ने कभी सड़क पर उतर कर जांच पड़ता करने की जेहमत उठाने की पहल नहीं की नतीजा यातायात सुधार के लिए उठाया गया हर एक कदम चंद दिनों में ही दम तोड़ देता है

और राहगीरों खासकर महिलाओं और छात्राओं को सड़क पर चलने के दौरान परेशानियों से दोचार होना पड़ता है| आम चर्चाओं में कहा सुना जाता है कि भले ही जिला प्रशासन द्वारा यातायात में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन शहर को जाम से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। इसके पीछे गैर कानूनी तरीके से चल रहे वाहन भी हैं। इसके अलावा नो एंट्री में भी कई स्थानों पर वाहनों को प्रवेश मिल रहा है।

जिसके कारण शहर का यातायात बिगड़ैल और आराजकता भरा हुआ महसूस होता है सड़क पर चलने वाले लोगों को परेशानियां पेश आ रही है। देखा जाता है कि शहर के अंदर ट्रक, मिनी ट्रक के प्रवेश पर नो एंटी लागू की गई है। नो एंट्री के दौरान ट्रक और मिनी ट्रक प्रवेश नहीं कर सकती हैं लेकिन मिनी ट्रक संचालकों ने नो एंट्री के दौरान शहर के अंदर प्रवेश पाने के लिए अपने स्तर पर विकल्प लगा निकाल लिया है।

नो एंटी प्रवेश पर यातायात पुलिस द्वारा चालानी कार्रवाई की जाती है। इसी चालानी कार्रवाई से बचने के लिए मिनी ट्रक में लगे 6 चकों में से दो चके निकलवा देते हैं। ऐसा किए जाने से मिनी ट्रक को बड़े वाहनों की श्रेणी में नहीं माना जाता है और दिन भर मिनी ट्रक शहर के अंदर प्रवेश करते रहते हैं। मिनी ट्रकों के शहर के अंदर प्रवेश से हर समय हादसे की आशंका बनी रहती है। मिनी ट्रक खासतौर चांडक चौक क्षेत्र से प्रवेश करते हैं और घंटाघर तक जाते हैं। मिनी ट्रकों के शहर के अंदर प्रवेश करने और सड़क पर ही वाहन खड़ा कर लोडिंग अपलोडिंग से जाम की स्थिति भी निर्मित होने लगती है।

पांच सौ रूपये की रसीद से बदल जाता है नियम और कानून

देखा जाता है कि शहरों के हर एक तिराहे और चौराहे सहित शहरी क्षेत्र में प्रवेश करने वाले लगभग सभी मैन सड़कों पर यातायात पुलिस विभाग की टीम रसीद बुक लेकर चालानी कार्यवाही में मशगूल नजर आती है जो शहर से बाहर और शहर में प्रवेश करने वाले भारी वाहनों सहित पिकप. छोटा हाथी जिसमें ऐसे वाहन भी होते हैं जिन्हें नो इंट्री के दौरान प्रवेश करने की पाबंदी रहती है को रोकने और जांच पड़ता के नाम पर खड़ा तो किया जाता है

लेकिन मात्र पांच सौ रूपये की रसीद कटवाते ही यातायात के सारे नियम और कानून ताक पर रख दिया जाकर ऐसे वाहनों पर रोक लगाई नहीं जाती बल्कि उन्हें शहर की सड़कों पर धमाचौकड़ी करने की छूट प्रदान कर दी जाती है| बतलाया जाता है कि ऐसी रसीद प्रति वाहन के लिए पूरे एक महिने तक की छूट देती है जो प्रति दिन ओवरलोड कर शहर की किसी भी सड़कों पर बेखौफ ढंग से धमाचौकड़ी मचा सकते हैं

फिर चाहे सड़कों पर जाम की स्थिति निर्मित हो या फिर कोई भी राहगीर इनकी ठोकर खा कर चोटिल हो अथवा किसी भी जानमाल की क्षति ही क्यों ना हो जाए यातायात पुलिस विभाग और प्रभारी सूबेदार साहब की बला से कुलमिलाकर यह कहा जाए कि शहर की बिगड़ैल यातायात व्यवस्था भगवान भरोसे ही चल रही है |
हरिशंकर पाराशर

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