आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड भंग, सरकार ने पूरी संपत्तियां सात सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के हाथों में सौंपी

रक्षा मंत्रालय ने एक अक्टूबर से आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) को भंग हो जाएगा। उसकी संपत्ति, कर्मचारियों और प्रबंधन को सात सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) के हवाले कर दिया है। आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी), जो सशस्त्र बलों को हथियार, गोला-बारूद और कपड़ों की आपूर्ति करता है। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत, केंद्र सरकार ने बीती 16 मई को घोषणा की थी कि वह ओएफबी के निगमीकरण द्वारा आयुध आपूर्ति में स्वायत्तता, जवाबदेही और दक्षता में सुधार करेगी |

एक आधिकारिक आदेश में मंगलवार को कहा गया कि इसकी 41 फैक्ट्रियां, इसकी संपत्ति और इसके 70,000 कर्मचारी सात नई सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में विभाजित हो जाएंगे। ओएफबी का सालाना कारोबार लगभग 19,000 करोड़ रुपये है। रक्षा मंत्रालय ने 28 सितंबर के एक आदेश में कहा कि भारत सरकार ने एक अक्टूबर, 2021 से इन 41 उत्पादन इकाइयों और पहचाने गए गैर-उत्पादन इकाइयों का प्रबंधन, नियंत्रण, कामकाज और रखरखाव सात सरकारी कंपनियों (पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व वाली) को सौंपने का फैसला किया है।

आदेश के अनुसार इन सात रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों (जिन्हें DPSU भी कहा जाता है) में म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड, आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड, एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड, ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड, यंत्र इंडिया लिमिटेड, इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड और ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड शामिल हैं। ओएफबी वर्तमान में एक रक्षा मंत्रालय की अधीनस्थ इकाई है और तीन सशस्त्र बलों एवं अर्धसैन्य बलों को महत्वपूर्ण हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति करती है।

आदेश के मुताबिक सरकार ने ओएफबी की प्रोडक्शन यूनिट्स और नॉन-प्रोडक्शन यूनिट्स के सभी कर्मचारियों को नए डीपीएसयू को ट्रांसफर किया जाएगा। इन कर्मचारियों को सेवा शुरू करने की नियत तारीख (1 अक्टूबर) से दो साल की अवधि तक बिना किसी प्रतिनियुक्ति भत्ते (डीम्ड डिपुटेशन) के काम करना होगा।

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