बदनाम है यूपी का ये शहर देशभर में फैले 800 अटैची चोर ऐसे देते हैं वारदात को अंजाम

उत्तर प्रदेश देशभर में अटैची चोरों की वारदातों के कारण बिजनौर बदनाम है। जिले के रहने वाले करीब 800 से ज्यादा अटैची चोर करीब 25 साल से सक्रिय हैं, यह सफर के दौरान अटैची खोलकर उससे नकदी और जेवरात निकालकर उसे फिर से बंद कर देते हैं, यह काम इतनी सफाई से करते हैं कि किसी को वारदात की भनक तक नहीं लग पाती। यह जिले में वारदात नहीं करते, इसकी वजह से स्थानीय पुलिस भी इन पर मेहरबान रहती है। शुक्रवार को वाराणसी में तीन अटैची चोर पुलिस के हत्थे चढ़े तो फिर से ये सुर्खियों में आए हैं।

एक ही परिवार के कई लोग इस चोरी की वारदात में सक्रिय है। ये लोग बिजनौर से जाकर दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश समेत कई राज्यों में अटैची चोरी की घटनाओं को अंजाम देते आए हैं अटैची चोरों पर शिकंजा कसने के लिए दस साल पहले पुलिस ने थानों में अपराधियों की तरह बोर्ड लगवाकर उनके नाम चस्पां कराए थे। अपने नाम बोर्ड पर लिखे देख ये अटैची चोर अपने को अपमानित महसूस करते थे। बोर्ड से नाम हटवाने के लिए भी सिफारिश का सहारा लिया जाता था। थानों के सुंदरीकरण में ये बोर्ड हट गए। बोर्ड हटने के बाद इन अटैची चोरों को किसी का डर नहीं है। जिले में तो ये शांत रहते हैं पर गैर राज्य व जिलों में अटैची चोरी व लूट की घटनाओें को अंजाम देते हैं।

इनकी वजह से बदनाम है ये गांव

जिले के गांव भोगनवाला, रेहरा, सब्दलपुर, गौसपुर, दौलताबाद, काजीवाला, जंदपुर मंडावली, मंडावली, दहीरपुर, बनी, आकू, बरूकी, ऊमरी, थंबूवाला समेत कई गांवों के अटैची चोर सक्रिय हैं वारदात दर वारदात, अथाह

संपत्ति के मालिक बन गए कई चोर

पुलिस रिकॉर्ड में चिन्ह्त अटैची चोरों में कई अथाह संपत्ति के मालिक बन गए हैं। प्रॉपर्टी बना ली, गाड़ियों में घूम रहे हैं। कुछ ने संपत्ति बनाने के बाद कुछ दूसरे व्यापार भी शुरू कर लिए हैं।
एडवांस पैसा लेकर भी करते हैं वारदात
अटैची चोरों को जिले के कुछ सराफ बाहर अपराध करने जाने के लिए पैसा देते हैं। चोरी के बाद गहने वे इन्हीं सराफ को सस्ते दामों में बेचते हैं। गहनों को सराफ तुरंत गला देते हैं। अटैची चोर दूसरे जिलों में ऑटो और बस के स्टाफ से मिलकर भी वारदात करते हैं।

ऐसे करते हैं वारदात

कोई भी कीमती सामान लोग अटैची में ले जाते हैं। शादी विवाह के सीजन में जा रहे परिवारों को यह भांप लेते हैं। ऑटो या बस में उसे अपने बीच में बैठा लेते हैं। गिरोह के कुछ सदस्य उन्हें बातों में उलझा लेते हैं तो कुछ अटैची को घेर लेते हैं। दूसरी सवारियों को लगता है कि ये सभी एक साथ है। कई चॉबी और लोहे के तार के टुकड़े से खोलकर गहने और नकदी निकालने के बाद उसे फिर से बंद कर देते हैं। हालांकि चोरी के साथ ये अब लूटपाट भी करने लगे हैं।

वाराणसी में की 15 से 20 वारदात

वाराणसी में बिजनौर के थाना हीमपुर दीपा के गांव सब्दलपुर निवासी सऊद अहमद, मोहम्मद जीशान और मोहम्मद दानिश को गिरफ्तार किया गया है। तीनों के पास से 70 हजार रुपये, दो चेन, एक मंगलसूत्र, तीन अंगूठी, तीन जोड़ी टॉप्स और अन्य जेवर बरामद हुए हैं। यहां हुई कुछ वारदात के बाद पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से कुछ बदमाशों को चिह्नित किया, जिसके बाद शुक्रवार को इन्हें कैंट रेलवे स्टेशन से एक ऑटो से दबोच लिया। इन्होंने बताया कि वह 25 दिसंबर 2020 को बनारस आए थे। तब से लेकर अब तक उन्होंने 15 से 20 लोगों को शिकार बनाया है।

दस दिन तक रहते हैं एक शहर में

वाराणसी पुलिस को गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि वह ऑटो में सवारी के तौर पर बैठते हैं। जब कोई दूसरा पैसेंजर आता है तो उसे बीच में बैठा लेते हैं। फिर उसका सामान चुरा लेते हैं या जबरदस्ती छीन लेते हैं। तीनों ने बताया कि वह इसके पहले प्रयागराज, चंदौली, पटना और दिल्ली सहित कई अन्य शहरों में इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। बनारस में वह चौथी बार आए थे। तीनों जिस शहर में जाते हैं वहां लगभग 10 दिन रहते हैं और फिर चोरी-लूटपाट कर वापस लौट जाते हैं।

ज्ञान चन्द राष्ट्रीय जजमेंट संवाददाता लखनऊ।

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