घंटा’ बजने से यहाँ सरकती है जिंदगी, ‘पचासा’ से होती है दिनचर्या की शुरुआत।

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लखनऊ। ‘घंटा'(एक निश्चित समयावधि/60 मिनट का समय) कुछ वर्गों के लोगों के लिए उनके जीवन में एक अहम हिस्सा होता है। लेकिन किसी की जिंदगी घंटा बजने से ही चलती हो, ऐसा आपने कभी नहीं सुना होगा।हम आज आपको एक ऐसे ही मामले से अवगत कराते हैं जहाँ पर घंटा बजने से ही जिंदगी की शुरुआत होती है।उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सेंट्रल जेल समेत प्रदेश के हर जेल में बंद कैदियों के लिए घंटा बजना उनकी सुबह की शुरूआत की निशानी है।उनका खाने से लेकर सोने तक का समय घंटा बजने से ही निर्धारित होता है। यह व्यवस्था पिछले कई वर्षों से चली आ रही है। जेल में सिपाहियों की ड्यूटी के लिए भी जेल के बैरक में एक भी घड़ी नहीं है।

सुरक्षा के चलते पूरे जेल परिसर में केवल दो घड़ियां-
कैदियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पूरे जेल परिसर में केवल दो घड़ियां लगाई गई हैं। क्योंकि कई बार कैदियों ने घड़ी को तोड़कर अपने गलत इरादों को अंजाम दिया है। बताते चलें कि राजधानी की जेल में खूंखार अपराधियों समेत कुल 33500 आतंकी बंदी है। प्रदेश के हर जेल में हर बीतते घंटे के बाद एक घंटा बजाया जाता है।

बंदी रक्षक भी घंटी के गुलाम-

बंदियों की रक्षा करने वाले रक्षक(बंदीरक्षक) भी अपनी ड्यूटी घंटी के मुताबिक ही करते हैं। बंदी रक्षक ब्रिटिशकाल से ही चार घंटे की ड्यूटी करते आ रहे हैं। उन्हें लगातार मूवमेंट करना होता है। वह बैठ या खड़े नहीं हो सकते। इसके साथ ही जेल में ‘पचासा’ भी लगाया जाता है। पचासा में जेल के घंटी को पचास बार बजाया जाता है। इसी पचासा से कैदियों की दिनचर्या की शुरुआत होती है। पहला पचासा सुबह 05:30 बजे लगाया जाता है। जिससे बैरक को खोला जाता है। दूसरा पचासा बजने के साथ कैदियों के खाने का समय होता है। इसी तरह कुल चार पचासा बजाए जाते हैं। आखिरी पचासा शाम 4:30 बजे लगाया जाता है जिसके बाद सभी कैदियों को उनकी बैरक में वापस भेज दिया जाता है।

अनहोनी होने पर काम आती है ‘पगली’-

इस जेल में आम घंटियों के अलावा यहां एक ऐसी घंटी भी है जिसके बजते ही न सिर्फ अपराधियों बल्कि अधिकारियों के भी हाथ पांव फूल जाते हैं। दरअसल जेल परिसर में अगर कोई भी अनहोनी(घटना) होती है तो ‘पगली’ शब्द की घंटी को लगातार 10 मिनट तक बजाया जाता है। अगर जेल में किसी की मौत, दो गुटों के अपराधियों में संघर्ष या कोई कैदी जेल से भाग जाए तब यह घंटी बजाई जाती है। जिससे जेल के सभी कर्मचारी पूरी मुस्तैदी से अलर्ट हो जाते हैं।
(साभार:पुलिस मीडिया न्यूज)

(लेखक – एस.बी.सिंह सेंगऱ)

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