पत्ती वाली सब्जियों पर जहरीले एवं प्रतिबंधित रसायनों का प्रयोग ना करें किसान:डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह

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बी के टी-इस समय बाजार में हरी सब्जियां जिसमें से प्रमुख रूप से पत्ती वर्गीय सब्जियों की आवक अधिक है, जिन किसान भाइयों ने अपने खेतों में पालक, चौलाई, धनिया, सोया, मेथी मूली की रंग बिरंगी प्रजातियों की बुवाई की हैं वे कृपया हानिकारक क्लोरीन युक्त, फास्फोरस युक्त तथा जिन रसायनों के डिब्बों पर तिकोने कलर में रेड चिन्ह बना है उन रसायनों का प्रयोग बिल्कुल ना करें, इन रसायनों की वजह से शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियां हो रही हैं, जिनमें प्रमुख रूप से कैंसर, लीवर खराब होना, आंखों से कम दिखाई देना, प्रजनन संबंधी बीमारियां, उक्त रक्तचाप का होना,
यूरोलॉजिकल समस्या तथा न्यूरोलॉजिकल समस्या प्रमुख हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि इन खतरनाक रसायनों की जगह पर जैविक कीटनाशक एवं जैविक खाद का प्रयोग कर अधिक उत्पादन ले सकते हैं। पत्ती वर्गीय सब्जियां स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती हैं, बाजार से पति वर्गीय सब्जियां लाने के बाद 2 दिन से अधिक इनका स्टोर नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि जहरीले रसायनों का प्रभाव इसमें काफी दिन तक रहता है। इसलिए रसायन का सीधा असर मनुष्य के शरीर पर पड़ता है
जिसकी वजह से शरीर में विभिन्न प्रकार की व्याधियों उत्पन्न होने लगती हैं। चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय कीट वैज्ञानिक डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आज के परिवेश में लगातार अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है जिसकी वजह से कीटनाशकों का एकम्यूलेशन शरीर के अंदर हो रहा है जो काफी चिंता का विषय है, इन रसायनों की जगह पर किसान भाइयों को जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए,
इस समय कम तापक्रम मैं निरंतर गिरावट आ रही है जिससे चूसक कीटों की संख्या बहुत अधिक बढ़ने लगती है किसानों को इन कीटों को प्रबंधित करने के लिए ब्यूबेरिया बैसियाना जो एक जैविक फफूंदी उत्पाद है इसका प्रयोग करके छोटे पत्ती चूसक कीटो को नियंत्रित किया जा सकता है इसके लिए 5 ग्राम किलो ब्यूबेरिया बैसियाना पाउडर को 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर 10 से 15 दिन के अंतराल पर शाम के समय छिड़काव करें यह जैविक उत्पाद अंडा देने वाले इन कीटो तथा पौधों के लिए बहुत प्रभावी होता है
, इसकी उत्पाद की उम्र 1 वर्ष होती है, एक बार प्रयोग कर देने से पत्ती वर्गीय सब्जियां अपने पूरे सीजन में कीटों से बची रहती हैं। छोटी पत्ती वर्गीय सब्जियों को प्रबंधित करने के लिए नीम का तेल का प्रयोग लाभकारी होता है इसके साथ में गाय का मूत्र मिला दिया जाए तो इसका कीटनाशक गुण भी बढ़ जाता है। यह तरल वानस्पतिक कीटनाशक है इसकी गंध एवं स्वाद के कारण कीड़े भाग जाते हैं, इस प्रकार के जैविक उत्पादों को को पौधों के ऊपर छिड़कने से कीटों का जीवन चक्र छोटा हो जाता है तथा उनकी वृद्धि एवं विकास प्रभावित होता है।
नीम जनित उत्पाद बाजार में मिलते हैं इनकी 2 एम एल मात्रा को 1 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कने से अधिक लाभ मिलता है और यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। वर्तमान समय जैविक कृषि का वैश्विक स्तर पर महत्व बढ़ता जा रहा है तथा बाजार में जैविक रूप से उत्पादित किए गए फल सब्जी एवं अनाज की अत्यधिक मांग है अतः किसानों को जैविक कृषि पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
महेंद्र मिश्रा की रिपोर्ट राष्ट्रीय जजमेंट

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