पति की दीर्घायु के लिये महिलाऐं रखती है करवाचौथ व्रत

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महोबा 1 नवम्बर। कार्तिक मास शुरू हो चुका है, इस दिन से किसान भी रवि फसल की तैयारी के लिये भी भूमि पूजन करते है, कार्तिक मास के ब्रम्ह मुहूर्त में स्नान का अलग माहत्व है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की चिरायु एवं स्वस्थ्य जीवन की कामना के लिये निर्जला व्रत का अनुष्ठान करती है। रात में चन्द्रमा उदय होने के बाद भगवान सुधांशु को अर्ध्य देकर जल एवं अन्न ग्रहण करती है। सम्पूर्ण भारत वर्ष में महिलाऐं अत्यंत श्रद्धा एवं भक्ति के साथ इस व्रत की तैयारी कई दिन पहले आरम्भ कर देती है।
व्रती स्त्रियां ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर स्न्नानादि से निवृत्त होकर गणेश जी के समक्ष निर्जला व्रत का संकल्प लेती है। घरों में भांति, भांति के पकवान बनाये जाते है संध्याकाल में पूर्ण सुहागिन का श्रंगार कर आस, पड़ोस की सभी विवाहित स्त्रियों के साथ मिलकर किसी पवित्र नदी या सरोवर के किनारे गणेश एवं कार्मिकेय सहित शिव पार्वती का पूजन करती है। पूजा में जल से भरा हुआ एक बतासा एवं पकवान से भरे हुये मिटटी के बारह या सोलह करवें रखे जाते है। स्त्रियां रात में चलनी के ओट से चांद के दर्शन कर जल वाले करवे से अर्ध्य देकर अपने पति के दर्शन करती हैं तथा चरण स्पर्श कर पति के हाथां से जल एवं अन्न ग्रहण कर व्रत पूरा करती है।
माना जाता है कि यह व्रत महाभारत काल में द्रोपदी ने पतियों की दीर्घायु एवं कुशलता के लिये श्री कृष्ण के परामर्श पर किया था। समान्यताः इस व्रत का पालन जीवन पर्यंत किया जाता है, किन्तु विशेष परिस्थितियों में बाहर या सोलह वर्ष पालन करने के पश्चात उद्यापन किया जा सकता है। वैसे तो यह त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन पंजाब, गुजरात, राजस्थान और यूपी में इसकी धूम ज्यादा रहती है।
नवविवाहिता महिलाऐं पहला करवाचौथ उत्साह के साथ मनाती है, इस दिन व्रत रखने के लिये करवा खरीदे जाते हैं करवा का अर्थ है मिटटी का बर्तन और चौथ का मतलब शरद पूर्णिमा से ठीक चौथे दिन इस पर्व को मनाया जाना। करवों को बाहर की ओर से हल्दी और चावल के घोल से सुंदर डिजाइनों से सजाया जाता है, व्रती स्त्रियां करवाचौथ व्रत वाले दिन सूरज के निकलने से काफी पहले नाश्ता करती है और फिर पूरे दिन व्रत रखती है, सुबह को खाने को सरगी के नाम से जाना जाता है, जो वधु की सांस उसे देती है। लड़कियों के मायके से कई तरह के मिष्ठान और उपहार आते है। यह सामान लड़की के ससुराल करवाचौथ के एक दिन पहले भेंट किया जाता है।
इस पूजा के लिये विशेष थाली तैयार की जाती है, पूजा दौरान महिलाऐं एक घेरे में बैठती है, और थालियां एक दूसरे के पास घुमातें हुये व्रत की कथा सुनती है। हालाकि पहले चन्द्रिमा को देखने के बाद ही वह कुछ खाती है और पानी का घूंट भरती थी। लेकिन अब पूजा के बाद पानी या चाय पी ली जाती है। वैसे इस त्यौहार का सम्बन्ध फसल से भी जुड़ा माना गया है। इस त्यौहार के आने तक गर्मी की ऋतु में बोयी गयी फसलें पक कर तैयार हो जाती है अच्छी फसल की खुशी में महिलाऐं पूजा करने के बाद एक दूसरे के घर आकर बड़ो का आर्शीवाद लेती है।
करवा चौथ : बाजार हुआ गुलजार
महोबा। बुधवार को करवा चौथ का पर्व मनाया जाएगा, करवा चौथ को लेकर बाजार बुलजार हो गए है। साड़ियो की मांग सबसे ज्यादा है, पूजा सामग्री की दुकानों मे भीड़ लग रही है। शहर में जगह-जगह करवा बिक रहे है। एक एक करवा कि कीमत 30 रुपय तक है। बाजार में पहुंचकर इन करवा को सुहागिन महिलाए खरीद रही है। वस्त्रालयो कि दुकाने खरीददारों से फुल चल रही है। करवा चौथ को लेकर दुकानदारो ने अपनी-अपनी दुकानो को आकर्षक तरीके से सजाया हुआ है। ऊदल चौक, तहसील चौराहा, समेत शहर के तमाम स्थानो पर करवा की बिक्री खूब हो रही है।
राष्ट्रीय जजमेंट के लिए महोबा से काजी आमिल की रिपोर्ट

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