नहीं मिलता सामाजिक संगठनों को पुलिस का सहयोग ,सरकार से इस दिशा में पहल की उम्मीद :श्यानी निराली

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हमारे देश में पुलिस की छवि इस प्रकार बनी है कि सच्चा, ईमानदार और दिल से मानवता का सेवा करने वाला भी पुलिस थाने में जाने से पहले घबड़ाता है। कई मामले में पुलिस किसी मसले को सुलझाने के बजाय उसे और जटिल बना देती। बल्कि पुलिस के छोटे से सहयोग से बड़ा कार्य भी आसान हो सकता है। यह विचार श्यानी निराली किंजल कुमार का है जो समाज के बेसहारा, मजलूम और मानसिक रुप से दिव्यांग लोगों को अच्छी संस्था में भर्ती कराते समय अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मानवता के लिए उमदा कार्य करने वाली श्यानी को ज्यादा तर कई पुलिस थाने एवं सामाजिक संगठनों का चक्कर लगाना पड़ता।
श्यानी निराली के अनुसार उनके समय और आय का ज्यादा भाग सड़क के किनारे रहने वाले गरीब लाचार लोगों की सेवा में जाता। यदि किसी मानसिक रोगी को सड़क से उठा कर नजदीक के सेवा करने वाली संस्था या एनजीओ के पास ले जाने पर आजीवन रखने के लिए पुलिस वेरिफिकेशन की बात की जाती। पुलिस थाने में जाने पर यह कहा जाता कि यह व्यक्ति जिस पुलिस थाने क्षेत्र में मिला है,
वहाँ लेकर जाओ। संबंधित पुलिस थाने में जाने पर पुलिस कर्मचारी नाम, पता सहित अन्य प्रमाण की मांग करते। यह प्रश्न स्वाभाविक है कि मानसिक रुप से बीमार व्यक्ति अपने बारे में क्या जानकारी देगा। ऐसी परिस्थिति में पुलिस वेरिफिकेशन करने के बजाय महिला हैल्प लाइन, एनजीओ या ट्रस्ट में जाने की सलाह देती, जबकि सामाजिक सेवा से जुड़े संगठन या ट्रस्ट उक्त मानसिक बीमार का पुलिस वेरिफिकेशन मांगते है।
श्यानी निराली का कहना है कि बहुत से ट्रस्ट और एनजीओ सरकार से मान्यता लेकर केवल अपना उल्लू सीधा करते। ऐसी संस्थानों के पास बेसहारा लोगों को ले जाने पर यह कहा जाता कि हर महीने एक निश्चित रकम देना पड़ेगा। ऐसी संस्था सेवा के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाती हैं। कई बार मानसिक रुप से दिव्यांग महिलाएं बलात्कार की शिकार हो जाती हैं। यदि पुलिस महिला सुरक्षा और महिला हेल्पलाइन की सलाह देने के बजाय मानवता के स्तर पर मानसिक रुप से बीमार महिला या पुरुष का वेरिफिकेशन कर दे यह सामाजिक कार्य आसान हो जाए और उन मजलूमों को सच्ची सेवा भावी संस्था में पूरे जीवन के लिए आश्रय मिल जाए।
श्यानी निराली का कहना है कि सत्ता में बैठे पुलिस अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी पुलिस थाने को निर्देश करें कि गुजरात के किसी कोने में कोई मानसिक दिव्याग, लाचार और बीमार मिलता हो तो ऐसे लोगों का तुरन्त वेरिफिकेशन किया जाए। ताकि हमारे जैसे सेवा भावी लोगों को उन्हें किसी संस्था में पहुंचाने में शुलभ हो। ऐसा निर्देश मानवता के लिए सबसे बड़ी सेवा होगी। राज्य सरकार और केन्द्र सरकार बहुत सारा योजनाएं बेसहारा लोगों के लिए बनाती हैं, परन्तु जमीनी स्तर पर वास्तविक लोग उक्त लाभ से महरुम रह जाते। सरकार को भी इस दिशा में सही दिशा निर्देश जारी करना चाहिए ताकि जमी़नी स्तर से जुड़े लोगों को मानवता पूर्ण सेवा करना आसान हो जाए।
ओमप्रकाश यादव अहमदाबाद गुजरात।

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