इन्टरनेट सेवा कांच के घर जैसा, गुजरात में प्रतिदिन दो लोग साइबर क्राइम का शिकार

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वर्तमान समय में इन्टरनेट जीवन का अभिन्न अंग होता जा रहा है। जहाँ एक ओर यह हमारे जीवन शैली को आसान बना रहा है वहीं इससे कई बार काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता। गत चार वर्ष में 2300 से अधिक साइबर क्राइम के मामले दर्ज हुए हैं। वर्तमान समय में रोज औसत दो लोग साइबर अपराध के शिकार होते।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इन्टरनेट प्लेटफार्म थोड़ी सी लापरवाही बहुत बड़ी मुश्किल का कारण बन सकती है। गुजरात में गत एक वर्ष में साइबर अपराध में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एक वर्ष में साइबर अपराध के 780 मामले दर्ज हुए हैं, परन्तु यह वह मामले है जो पुलिस के चौपड़े में दर्ज होते। बहुत से मामलों में लोग शिकार बनने के बाद बदनामी की डर से मौन धारण कर लेते। वर्ष 2016 में 362,वर्ष 2017 में 458 तथा वर्ष 2018 में 702 साइबर अपराध के मामले दर्ज हुआ था।
वर्ष 2019 की बात करें तो कम्प्यूटर संबंधित 206 ,गलत पहचान के 175, फर्जी के 107 तथा डाटा चोरी के 11 शिकायत दर्ज की गई थी। आनलाइन बैकिंग में 33,ओटीपी के 28 तथा क्रेडिट कार्ड एवं एटीएम संबंधित 41 मामले दर्ज हुए हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार इन्टरनेट सेवा कांच के घर जैसा है। जिसमें अत्यधिक सावधानी की जरूरत है। किसी के विश्वसनीयता की जाँच किए बिना टेली कॉलर को ओटीपी, पासवर्ड या बैंक संबंधित कोई जानकारी नहीं देना चाहिए। ई मेल पासवर्ड समय के साथ बदलना आवश्यक है। आकर्षक आफर की लालच में आकर लोग आसानी से बैंक लिंक को शेयर कर देते। यदि कोई आप के साथ आनलाइन ब्लेकमेलिंग करता हो तो उसकी सूचना पुलिस को शीघ्र देना हितावत है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गत वर्ष साइबर क्राइम में धोखाधड़ी के 363 मामले, किसी को बदनाम करने के 306,जातिय शोषण के 32 मामले तथा झगड़े के मामले के 20 से अधिक शिकायत दर्ज हुई है। वर्ष 2019 में साइबर अपराध के मामले में 1058 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जिनमें 958 पुरुष और 125 महिलाओं का नाम शामिल है।
ओमप्रकाश यादव अहमदाबाद गुजरात।

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