13 दिन से कुए में दवा है मजदूर निकालने की सारी कोशिशें नाकाम

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पाली ज़िले की सुमेरपुर तहसील के कानपुरा गांव में एक कुएं पर खुदाई का काम चल रहा था.  शाम क़रीब चार बजे अचानक कुंए का फर्मा टूटने से मिट्टी ढह गई कुंए में नीचे काम कर रहे शिवगंज तहसील के जोगपुरा के रहने वाले 45 साल के मज़दूर मुपाराम मीणा मिट्टी में नीचे दब गए. उन्होंने क़रीब दो सप्ताह पहले ही उस कुंए में काम करना शुरू ही किया था.
मज़दूर मुपाराम मीणा के भाई दूदा राम बीबीसी से कहते हैं, कुएं में नीचे भाई और एक अन्य आदमी काम कर रहे थे. कुंए का फर्मा टूट गया जिसके साथ ही रेत और मलवा कुएं में ढह गया. जिसमें भाई कई फीट तक मलवे में दब गए. दूसरा आदमी बच निकला घटना की सूचना मिलने के बाद परिजन पांच दिन तक कुंए के पास बैठ कर मुपाराम के निकलने का इंतज़ार करते रहे. उनको उम्मीद थी कि कोई चमत्कार होगा और मुपाराम सलामत निकल आएंगे.
लेकिन, 13 दिन तक प्रशासनिक प्रयासों से उदास परिजनों की उम्मीद भी टूट गई है. परिजन अब प्रशासन से उनके शव को निकालने की गुहार कर रहे हैं, जिससे उनके अंतिम दर्शन कर सम्मानजनक अंतिम संस्कार किया जा सके.एसडीएम देवेंद्र कुमार कहते हैं कि पीडब्ल्यूडी, पीएचईडी, रेलवे के इंजीनियर्स, स्टेट डिज़ास्टर रिस्पोंस टीम समेत कई एक्सपर्ट्स को बुलाया गया
कुंए के नीचे के हालात जानने के लिए वीडियोग्राफी भी कराई गई. लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली. एसडीआरएफ की टीम ने भी नीचे उतर कर प्रयास किया लेकिन कुंए की बनावट और नीचे मिट्टी के कारण प्रयास असफल रहे.
राजसमंद की गहरी खानों में काम करने वाले एक्सपर्ट्स से भी बात की गई, लेकिन समाधान नहीं निकला. ज़िला कलेक्टर अंशदीप का दावा है कि, इस काम को करने के लिए कुछ एक्सपर्ट्स तैयार हो गए हैं. जल्द ही उनकी मदद से मुपाराम को निकालने का फिर से प्रयास किया जाएगामुपाराम को नहीं निकाल पाने का दर्द उनके पूरे परिवार की खामोशी से महसूस किया जा सकता है. उनकी पत्नी जमना देवी कई दिनों तक तो कुंए के पास बैठी रहीं. अब किसी भी आने जाने वाले से बात नहीं करती हैं, टकटकी लगाए अपने पति के इंतज़ार में बैठी हैं.
बुलवाने की कोशिश करने पर सिर्फ़ इतना कहती हैं कि मुझे भी कुंए में डाल दो.
मुपाराम के चार बेटे हैं, सबसे बड़ा बेटा विकलांग है और अन्य स्कूल में पढ़ते हैं. बच्चे भी ज़्यादातर खामोश ही रहते हैं और बात की जाए तो रोने लगते हैं.शासन भले ही अपने स्तर पर भरसक प्रयास का दावा कर रहा है. लेकिन, एक मज़दूर को 13 दिन बीत जाने के बाद भी निकालने में पूरी तरह असफल रहा है. बीते हफ़्ते भर से तो मौके पर किसी तरह का रेस्क्यु किया ही नहीं गया.सामाजिक संगठन लगातार सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंप कर मुपाराम को कुंए से बाहर निकालने की मांग कर रहे हैं.
कुआं मालिक बोले मेरा 45 लाख का नुकसान हुआ कुँए के मालिक ईश्वर सिंह राजस्थान पुलिस में असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर हैं. उनका कहना है कि मुपाराम के साथ हुए हादसे की वजह से उनका 45 लाख रुपये का नुक़सान हो गया.उन्होंने बीबीसी से, “मुपाराम ने नौ हज़ार रुपये में ठेका लिया था. पिछले तीन सप्ताह से वह कुँए पर काम कर रहे थे. अचानक यह घटना हो गई. इस मामले के बाद तीस बीघा ज़मीन पर उनकी कपास की खेती सूख रही है
एएसआई ईश्वर बताते हैं  इस कुंए के पास ही उनका परिवार रहता है. लेकिन इस घटना के बाद वो डर और भय के माहौल में जी रहे हैं
पाली ज़िले के पुलिस अधीक्षक राहुल कातके कहते हैं, “बॉडी रिकवर नहीं हुई है. लेकिन, इतने दिनों से आदमी कुंए में दबा हुआ है तो डेथ हो ही गई होगी न, ज़िंदा थोड़े ही होंगे.”

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