जीबी पंत विश्वविद्यालय में पहली से सीएबीएम एवं अन्य महाविद्यालयों का 21 से शुरु होगा सत्र

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पंतनगर (उधमसिंह नगर)। कोविड 19 के चलते छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। विश्वविद्यालय की एकेडेमिक काउंसिल में काॅलेज आॅफ एग्रीबिजनेस मैनेजमेंट का नया सत्र पहली सितंबर से शुरु होगा जबकि अन्य महाविद्यालयों का सत्र 21 सितंबर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है। प्रवेश औपचारिकताओं के बाद आॅनलाइन कक्षाएं प्रारंभ होंगी, जिनमें प्राध्यापक स्मार्ट कक्षाओं से ही वर्चुअल लेक्चर देंगे,
जिसे छात्र घर बैठे अध्ययन कर सकेंगे। पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. तेज प्रताप ने कहा कि कोविड-19 का संक्रमण कब तक चलेगा, इसका कोई तय समय नहीं है। छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए महाविद्यालयों का सत्र शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
पूर्व में हमने प्रदेश में सबसे पहले आॅनलाइन कक्षाएं प्रारंभ की गयीं और तमाम विरोध के बावजूद सफलतापूर्वक आॅनलाइन परीक्षाएं भी संपन्न करवायीं। शुरूआत में कुछ दिक्कतें जरूर आयीं लेकिन अब प्राध्यापकों सहित छात्रों के लिए भी यह प्रक्रिया सामान्य हो गई है। हालांकि आॅनलाइन शिक्षण व्यवस्था आने वाले समय की जरूरत थी, लेकिन कोरोना के चलते हमें इसे समय से पूर्व ही स्वीकार करना पड़ा है। अब आगे से विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाले छात्रों को लैपटाॅप रखना आवश्यक होगा।
कुलपति ने बताया कि अब तक छात्रों को परीक्षा में बैठने के लिए कक्षाओं में निर्धारित हाजिरी आवश्यक होती थी लेकिन अब छात्रों को कक्षाओं में हाजिरी की कोई चिंता नहीं रहेगी और वह कहीं भी रहकर अपना कोर्स पढ़ सकेंगे। आॅनलाइन कक्षाओं में प्राध्यापकों के होने वाले लेक्चर बाद में वेबसाइट पर भी उपलब्ध रहेंगे जिन्हें छात्र कभी भी पढ़ सकेंगे। कोरोना काल के बाद भी यही व्यवस्था लागू रहेगी। विषय संबंधी लेक्चर में यदि कोई विशेष जानकारी की आवश्यकता होगी तो ही छात्र कक्षाओं में आएंगे।
कुलपति ने बताया कि पंतनगर विश्वविद्यालय के पास विश्व का दूसरा सबसे बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर है लेकिन दुर्भाग्य कि यहां केवल साढ़े चार हजार छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं। जबकि मात्र कुछ एकड़ में बने निजी संस्थानों में छात्र संख्या 10 से 15 हजार तक है। हमने निर्णय लिया है कि कोरोना काल के बाद पंतनगर विवि की छात्र स्ट्रेंग्थ बढ़ाकर कम से कम दस हजार की जाए। जिससे यहां अधिक छात्रों को पढ़ने का मौका मिल सके और हमने इस पर काम भी शुरू कर दिया है।
कुलपति ने बताया कि अभी तक विवि में जिस छात्र का प्रवेश हो जाता था, उसे परिसर में बने छात्रावासों में ही रहने की बाध्यता थी। अब इस बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है। अब विश्वविद्यालय के नजदीकी क्षेत्रों जैसे रूद्रपुर, हल्द्वानी, किच्छा और सितारगंज आदि क्षेत्रों के रहने वाले छात्र विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर वापस अपने घरों को लौट सकते हैं। इसके अलावा दूर-दराज के छात्र विश्वविद्यालय के बाहर कहीं भी पीजी में रहकर अपनी पढ़ाई कर सकते हैं।
ऐजाज हुसैन ब्यूरो उत्तराखंड

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