देवरिया जनपद में केले की खेती की अपार संभावनाये

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किसानो की आय दोगुनी करने की दिशा में किसानो को जानकारी देते हुए उद्यान विशेषज्ञ एवं प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र, मल्हना, देवरिया रजनीश श्रीवास्तव ने बताया की औद्यानिक फसलो की खेती किसानो की आय बढाने में ज्यादा कारगर है । इसके अंतर्गत केला की खेती एक बेहतर विकल्प है  वर्तमान में जनपद में लगभग 30 हे० क्षेत्रफल में केला की खेती की जाती है अतः इसके विकास की जनपद में बहुत सभावना है | जनपद में इसके लिए उपयुक्त मिट्टी एवं वातावरण है | इसके खेती के लिए जीवांशयुक्त, गहरी, अच्छे जल निकास वाली हल्की दोमट, बलुई दोमट अथवा काली मिट्टी उपयुक्त होती है। उष्ण तथा उपोष्ण जलवायु अधिक उपयुक्त होती है | अधिक गर्म हवाये तथा अधिक ठंड से केला के बढ़वार एवं उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है | 
प्रजाति- ग्रैंड नैने प्रजाति की खेती की संस्तुति की जाती है । इसके पौधे बौने होते है तथा पौधे की लम्बाई 1-1.5 मीटर तक होती है | फलिया बड़ी, मोटी और कुछ घुमावदार होती है | पकने पर पीली हरी रहती है | गूदा मोटा, मुलायम, मीठा एवं सुवास युक्त होता है | पुरे घौद में एक समान केले होते है | घौद का वजन 25-30 किग्रा होता है ।
प्रजाति- ग्रैंड नैने, हरीछाल
ग्रैंड नैनी
• पौधे बौने होते है तथा पौधे की लम्बाई 1-1.5 मीटर तक होती है |
• फलिया बड़ी, मोटी और कुछ घुमावदार होती है |
• पकने पर पीली हरी रहती है |
• गुदा मोटा, मुलायम, मीठा एवं सुवास युक्त होता है |
• पुरे घौदे में एक समान केले होते है |
• घौदे का वजन 25-30 किग्रा होता है | हरीछाल
• पौधा माध्यम उचाई की होती है | फल अधिक बड़ा, हरा एवं मोटा होता है |
• घौदे का वजन 25-30 किग्रा होता है |
• एक घौदे में 8-10 हत्थे होते है |
• प्रत्येक हत्थे में 16-20 फल होते है |
• फल का रंग गहरा हरा होता है जो पकाने पर हल्का पीला हो जाता है |
• फल मीठे, अच्छे एवं सुगन्धित होते है |
रजनीश श्रीवास्तव प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र देवरिया 
रोपण सामग्री– केले को पुत्तियों  और प्रकंदों द्वारा प्रसारित किया जाता है। हालाँकि, आजकल ऊतक संवर्धित वाले पौधे भी बड़े पैमाने पर लगाये जा रहे हैं। ये ऊतक संवर्धित पौधे रोपण के बाद 11-12 महीनों में कटाई योग्य हो जाते हैं । 
बुवाई की बिधि-  रोपण जून – जुलाई में किया जाता है। पौध से पौध एवं लाइन से लाइन की दूरी निम्न प्रकार से रख सकते है ।                  क्रम सं रोपण की दुरी (मी.) पौधों की संख्या (प्रति हे.)
1               1.5×1.5                               4444
2               1.8×1.8                               3088
3               2.0×2.0                               2500
4                2.1×1.2                                3482

 

 

अजय गुप्ता-राष्ट्रीय जजमेंट-संवाददाता-देवरिया 

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