कानपुर: प्रशासन की बड़ी लापरवाही से आंगनवाड़ी कार्यकत्री की कोरोना से मौत, विधायक ने खुद दी गवाही

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कोरोना का शिकार हुई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भर्ती होने के लिए उन्नाव और कानपुर के बीच भटकती रही लेकिन उसे कहीं इलाज नहीं मिला। बीमार मां को भर्ती कराने के लिए बेटे ने सदर विधायक को फोन किया। उन्होंने कानपुर के प्रभारी सीएमओ सहित अन्य अधिकारियों को फोन किए लेकिन सभी एक दूसरे पर जिम्मेदारी टालते रहे। आखिरकार इलाज के अभाव में कोरोना योद्धा की मौत हो गई।
घटना से आहत सदर विधायक ने अपने फेसबुक पोस्ट में व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। भाजपा विधायक की यह पोस्ट चर्चा का विषय बनी है। सदर विधायक पंकज गुप्ता ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि उन्नाव शहर के मोहल्ला कासिफअली सरायं निवासी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मौत का मैं (विधायक) गवाह हूं। शनिवार दोपहर उनके पुत्र ने फोन करके मां की हालत खराब होने की जानकारी दी।
बताया कि मां को कानपुर मेडिकल कालेज रेफर किया जा रहा है। वहां पहुंचने पर उन्हें बताया गया कि अस्पताल में जगह नहीं है। इस पर मैंने (विधायक) स्वयं कानपुर सीएमएस डॉ. ऋचा गिरी फोन किया। उन्होंने भर्ती करने में असमर्थता जताई। इसपर मैंने प्राइवेट अस्पताल नारायणा फोन किया, लेकिन फोन नहीं उठा। जीटीबी अस्पताल फोन किया तो वहां भी बेड फुल होने की जानकारी दी गई।
बाद में एसपीएम अस्पताल के संचालक दीपक श्रीवास्तव से बात की तो उन्होंने कहा कि आप भेज दो जगह है, पर कानपुर के सीएमओ से कहलाना पड़ेगा। विधायक ने कानपुर सीएमओ को फोन किया तो उन्होंने बताया कि उनका ट्रांसफर हो गया है। एसीएमओ डॉ. एके सिंह से बात कर लो। एसीएमओ से फोन पर बात की। उन्होंने पूरी बात सुनी। कहा कि अभी दोबारा फोन कर बताता हूं।
इसके बाद कई बार उन्हें फोन मिलाया गया लेकिन फोन रिसीव नहीं किया। वह बार-बार फोन काटते रहे। यह सब करते दो घंटे बीत गए और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जिंदगी की जंग हार गई। वहीं, दूसरी ओर एक मित्र और उनके परिवार की कोरोना पॉजिटिव होने के बाद मां की तबीयत खराब हो गई। उन्हें पीजीआई भेजने के लिए कहा। वहां बात की तो बताया गया कि बेड की कमी है। कोई परिवार का हो तो भेज दें। वहां यह बताकर कि परिवार के हैं तो उन्हें भर्ती कर लिया गया।
विधायक बोले- इलाज के अभाव में मौत, दुखद
सदर विधायक पंकज गुप्ता ने बताया कोरोना इलाज में लापरवाही का स्वयं गवाह है। मानसिक पीड़ा हुई तो अपनी व्यथा लिख दी। बताया कि यह कैसी व्यवस्था है कि प्राइवेट में बेड खाली हैं लेकिन कहा गया कि डीएम, सीएमओ लिखकर दें तभी भर्ती करेंगे। किसी की जिंदगी से बड़ा आदेश हो गया। ऐेसे कैसे चलेगा। इलाज के अभाव में किसी की मौत होती है तो पीड़ा होती है। रातभर नींद नहीं आई।
जबकि विधायक होने का साथ ही वह उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय, लेखा परीक्षा प्रतिवेदन जांच के समिति के सभापति हैं। मेडिकल कालेज और सभी निकायों/विभागों का ऑडिट मेरे द्वारा किया जाता है। मेरे फोन करने के बाद भी अगर किसी को इलाज नहीं मिल पाता है तो आम आदमी का क्या होगा। मैंने अपने मन की पीड़ा लिखी है। अगर किसी को खराब लगती है तो लगे लेकिन मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। मुख्यमंत्री से मुलाकात कर सुधार के लिए और क्या-क्या किया जा सकता है, इसपर विचार के लिए कहेंगे।
उन्नाव। कोरोना संक्रमित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मौत के 21 घंटे बाद कानपुर के भैरोघाट पर अंतिम संस्कार किया गया। शनिवार शाम करीब पांच बजे मौत होने के बाद शव को पोस्टमार्टम हाउस में रखवा दिया गया था। रविवार को शव का पोस्टमार्टम होना था। मृतका का बेटा रिश्तेदारों के साथ सुबह ही अस्पताल पहुंच गया।
लेकिन स्वास्थ्य कर्मी न होने से रविवार दोपहर 1 बजे तक शव का पोस्टमार्टम नहीं हो सका। इसकी जानकारी सदर विधायक को हुई तो वह पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। सीएमएस डॉ. बीबी भट्ट से बात की तब एक स्वास्थ्य कर्मी उपलब्ध कराया गया। दूसरा कर्मी न मिलने पर मृतका के बेटे ने खुद पीपीई किट पहनी और मां के शव को एंबुलेंस में रखवाया। इसके बाद कानपुर के भैरोघाट में मां के शव का अंतिम संस्कार किया।

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