नई दिल्ली.
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दिल्ली दंगों में हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या मामले मे सोमवार को चार्जशीट दाखिल की।
इसी हमले में डीसीपी अमित शर्मा और एसीपी अनुज कुमार समेत कई पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे।
कड़कड़ूडूमा कोर्ट में 925 पेज की चार्जशीट में डीसीपी और एसीपी समेत कुल 164 गवाह बनाए गए हैं।
वजीराबाद रोड चांद बाग धरना स्थल पर 24 फरवरी को पुलिस टीम पर किया गया हमला एक गहरी सुनियोजित साजिश थी।
पुलिस का दावा है कि –
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के बारे में गलत जानकारी देकर और चक्का जाम कर धार्मिक दंगा भड़काकर देश की छवि धूमिल करने के लिए यह साजिश रची गई थी।
चार्जशीट के मुताबिक पुलिसकर्मी डीसीपी और एसीपी को बचाकर यमुना विहार के मोहन नर्सिंग होम में इलाज के लिए ले गए।
दंगाइयों ने पीछा कर वहां जाकर भी तोड़फोड़ की।
पुलिस टीम पर हमला करने वालों में कई महिलाएं भी शामिल थीं।
इस दौरान दंगाई धरना स्थल के करीब वजीराबाद रोड स्थित सप्तऋषि बिल्डिंग की छत पर चढ़कर फायरिंग और पत्थरबाजी करने लगे।
इस दौरान एक दंगाई शाहिद (25) की गोली लगने से मौत हो गई।
वह मुस्तफाबाद इलाके का रहने वाला था।
पुलिस का दावा है कि दंगों को भड़काने के लिए ही धरने का इस्तेमाल किया गया।
इसके लिए बाकायदा करीब 50 लोगों की एक मीटिंग हुई थी, जिसमें साजिश रची गई थी।
ताहिर के घर से हुई थी फायरिंग
नेहरू विहार से पार्षद ताहिर हुसैन के घर के बाहर 25 फरवरी की दोपहर करीब 3.50 बजे अजय गोस्वामी नाम के शख्स की कमर में गोली लगी।
यह गोली ताहिर की छत से चली थी, जिसमें पीड़ित ने तनवीर और गुलफ़ाम को मुख्य आरोपी करार दिया था।
इस केस में ताहिर, उसका भाई शाह आलम, तनवीर और गुलफ़ाम समेत आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
गुलफ़ाम की लाइसेंसी पिस्टल, 1 मैगजीन और 7 राउंड कारतूस बरामद किए गए।
पूछताछ में इसने बताया कि वह जनवरी से ही सीएए विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा ले रहा था।