साकेत गोखले(प्रसिद्ध आरटीआई एक्टिविस्ट) ने देश के असली सिस्टम को किया उजागर, देखें विडियो
Rashtriya Judgement:
मशहूर आरटीआई एक्टिविस्ट साकेत गोखले द्वारा आरबीआई से मांगी गई सूचनाओं से पता चला है कि 30 सितंबर 2019 से लेकर मार्च 2020 तक देश की प्रमुख 50 औद्योगिक कंपनियों का लगभग 68000 करोड रूपया भारत सरकार ने माफ़ दिये है।
यह वह कंपनियां हैं, जो कागजों में दिवालिया घोषित कर दी गई हैं। तथा मेहुल चौकसी और विजय माल्या जैसे लोग अपनी कंपनियों का पैसा माफ कराने में कामयाब हो गए, तो सोचने वाली बात यह है कि विजय माल्या और मेहुल चोकसी जैसे लोग कैसे विदेश भाग गए,
और कैसे अपना रुपया सरकार से माफ कराने में कामयाब हो गए। यह तो मात्र 1 वर्ष के आंकड़े हैं।अगर बात करें 2014 से लेकर अब तक की तो पता चलेगा कि 750 से ज्यादा कंपनियों के 6 लाख 60000 करोड रुपए से ज्यादा भारत सरकार ने माफ कर दिए है।
सोचो जरा यह पैसा इन कंपनियों का माफ न किया गया होता तो भारत सरकार की सारी योजनाएं जिन्हें हम सरकार की वेलफेयर स्कीम कहते हैं।
जैसे जनधन, उज्जवला, डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम, किसान सम्मान निधि आदि में बाटते तो आज देश में सब के पास पैसा होता और कोई भूखा नहीं सोता ।
परंतु क्या कहें जो लोग सत्ता में रहते हैं। वह अपने अपने हिसाब से मुनाफा कमाते हैं। बैंकों की हालत किसी से छुपी नहीं है।उनका एनपीए 11 लाख करोड़ को पार कर चुका है।
लेकिन फिर भी हम रोज बहस करेंगे हिंदुस्तान-पाकिस्तान, हिंदू-मुसलमान, कश्मीर और मंदिर-मस्जिद, गाय जैसे मुद्दों पर ;
कोई भी टीवी चैनल रोज इन विषयों पर बहस क्यों नहीं कराता जिनसे हम भारतवासी जान सके कि हम दुनिया में कितने नीचे जा चुके हैं आज सच कहने और लिखने वाले पत्रकारों को कोने में बैठा दिया गया है चापलूसी करने वालों को शीर्ष पर बैठा रखा है।
देश को पता चलना चाहिए कि कैसे कोई पूंजीपति पहले कंपनी बनाता है। फिर बैंको हजारों करोड़ का लोन लेता है।

