प्रदेश कार्यालय में पार्टी नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना के योगदान और उनके राजनीतिक सफर को याद किया। यहां उनके शव को सम्मान स्वरूप भाजपा के झंडे में लपेटकर रखा गया है।
श्रद्धांजलि देने वालों में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन, दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी समेत कई नेता मौजूद रहे।

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना के शव को अंतिम दर्शन के लिए भाजपा के प्रदेश कार्यालय 14 पंत मार्ग में रखा गया है। यहां पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत कई केन्द्रीय मंत्री व अन्य दिग्गजों का जमावड़ा लगा हुआ है।
इससे पहले उनके कीर्ति नगर दिल्ली स्थित घर से पार्टी कार्यालय तक तमाम भाजपा नेताओं की मौजूदगी में शवयात्रा निकाली गई।

बताया जा रहा है कि थोड़ी देर में उनके शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के निगम बोध घाट पर होगा। अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए प्रदेश कार्यालय के बाहर और शमशान घाट पर अभी से लोगों का जमावड़ा लग गया है।
भीड़ को काबू करने के लिए दिल्ली पुलिस के जवाब जगह-जगह पर तैनात हैं। साथ ही शमशान घाट के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। भाजपा के प्रदेश कार्यालय से निगमबोध शमशान घाट तक आने वाले रास्ते पर भी पुलिस तैनात की गई है।
जरूरत पड़ने पर शवयात्रा के लिए पुलिस कुछ देर के लिए ट्रैफिक को रोक भी सकती है। हालांकि पुलिस की तरफ से डायवर्जन की कोई घोषणा नहीं की गई है।

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल मदनलाल खुराना का शनिवार देर रात निधन हुआ था। 15 अक्टूबर, 1936 को पाकिस्तान के लायलपुर में जन्में मदनलाल खुराना 82 वर्ष के थे। उन्होंने दिल्ली के कीर्ति नगर स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली थी।
बीमारी की वजह से मदन लाल लंबे समय से सक्रिय राजनीति से दूर थे। दिल्ली भाजपा में उनकी गिनती कद्दावर नेताओं में होती थी। वह 1993 से लेकर 1996 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे थे।
वर्ष 2004 में वह राजस्थान के राज्यपाल बने थे। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के जाने के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था।
उन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज के अलावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की थी। इलाहाबाद में ही उनकी छात्र राजनीति की शुरुआत हुई और इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के महामंत्री भी चुने गए।
1960 में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सचिव बने। सक्रिय राजनीति में आने से पहले उन्होंने पीजीडीएवी कॉलेज में अध्यापन किया।
वहीं पर प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा, केदारनाथ साहनी जैसे नेताओं के साथ मिलकर दिल्ली में जनसंघ को स्थापित किया। वह 1965 से 67 तक जन संघ के महमंत्री रहे।
