महिलाएं 500 रुपये जनधन खाते से लेने गईं, 10000 रुपये का मुचलका भरकर लौटीं!

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भोपाल। मध्यप्रदेश के भिंड शहर में लॉकडाउन के दौरान गरीब महिलाओं को प्रधानमंत्री जन धन योजना से 500 रुपये लेना महंगा पड़ गया। पांच सौ रुपये तो नहीं निकल पाए बल्कि 10000 रुपये का मुचलका भरकर रिहाई मिल पाई। दरअसल पुलिस ने सोशल डिस्टेंस का उल्लंघन करने पर 39 गरीब महिलाओं को अस्थाई जेल भेज दिया। उन पर 151 के तहत कार्रवाई भी की। पांच घंटे अस्थाई जेल में रखने के बाद सभी को रिहा कर दिया गया। कलेक्टर ने अस्थाई जेल भेजने की बात स्वीकारी लेकिन एसपी उल्टा मीडिया को ही भ्रामक खबरों के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
शहर के बीटीआई इलाके के संतोष नगर की रहने वाली गीता शाक्य उन 39 महिलाओं के साथ थीं जो लॉकडाउन के उल्लंघन में हिरासत में गईं। गीता अपने पति श्रीकृष्ण शाक्य, सास और तीन बच्चों के साथ रहती हैं। पति सिलाई का काम करते हैं। जो कुछ कमाते थे उससे गुजर हो जाती थी लेकिन कोरोना की महामारी के चलते बेरोजगार हैं। जनधन खाते में पैसे मिलने की बात पता चलने पर गीता भी अन्य महिलाओं के साथ मंगलवार को एसबीआई के कियोस्क सेंटर गईं। लेकिन पुलिस ने उनको हिरासत में लेकर शासकीय विद्यालय में बनाई गई अस्थाई जेल में ले जाकर ठूंस दिया।
धारा 151 सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर उन्हें 5 घंटे बंद रखा। गीता को शाम 6 बजे 10 हजार के मुचलके पर छोड़ दिया। अब गीता इतनी डर गई हैं कि उन्होंने 500 रुपये लेने से इनकार कर दिया। गीता ने कहा कि ”हम पैसे निकालने गए थे, पकड़ ले गए। गाड़ी में बैठे रहे, हमें बंद कर दिया। 10000 की जमानत पर छोड़ा। हम नहीं जाएंगे अब पैसे लेने।” गीता की तरह बाकी महिलाएं भी आई तो थीं बैंक, निकलीं अस्थाई जेल से…500 रुपये तो नहीं मिले, पांच घंटे अस्थाई जेल में जरूर बैठना पड़ा।
वैसे जिस आरोप में पुलिस ने इन्हें पकड़ा, उसी को धता बताकर पुलिस वैन में ठूंसा। पुलिस उन्हें बुनियादी स्कूल की अस्थाई जेल ले गई। उन्हें हिरासत में लेने वाली पुलिस अधिकारी रजनी गुर्जर कहती हैं कि ”हमें जानकारी मिली थी कि वहां भीड़ हो रही है तो महिला कॉन्स्टेबल जो लॉकडाउन का पालन नहीं कर रही हैं, उनको बुनियादी स्कूल लेकर गईं। लगभग 39 महिलाओं को जेल ब्रांच से लेकर आए हैं. इन पर कार्रवाई 151 के तहत महिला अधिकारी करेंगी।”
वहीं भिंड कलेक्टर छोटे सिंह ने कहा ”समझाने के बाद महिलाएं मानी नहीं। ऐसी स्थिति में पुलिस को हटाना पड़ा। अस्थाई जेल जो बना रखा है, बुनियादी स्कूल ले गए हैं। वहां समझा रहे हैं फिर आगे की कार्रवाई होगी।” जब उनसे पूछा गया कि वैन में ठूंसने की क्या जरूरत थी जब आरोप सामाजिक दूरी तोड़ने का था? उन्होंने कहा ”बहुत सारी चीज के बहुत सारे तरीके हैं जो समझाने से कंट्रोल नहीं हो रही है तो क्या करें। जो प्रैक्टिल होगा वही करना पड़ेगा। ऐसा संभव नहीं हो सकता है कि एक पालन ना करे दूसरा पूरा पालन करे।”

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