मास्क बनाने के लिए खादी कपड़े की कीमत को लेकर फंसा पेंच, दूसरे विकल्पों पर काम शुरू, जानिए क्या है मामला

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लखनऊ। पूरे प्रदेश में लॉक डाउन के बीच लोगों के लिए घर से बाहर निकलते समय मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में बड़े पैमाने पर मास्क बनाने के लिए खादी ग्रामोद्योग बोर्ड ने संस्थाओं को चिट्ठी लिखकर खादी का कपड़ा देने के निर्देश दिए हैं। अफसरों की 4 अप्रैल को हुई बैठक में तय किया गया कि 65 रुपये प्रति मीटर के हिसाब से संस्था कपड़ा मुहैया कराए।

सभी जिलों की संस्थानों को इस बाबत चिट्ठी भेज भी दी गई लेकिन एक-एक कर गांधी आश्रम संस्थानाें ने कपड़ा मुहैया करने से इनकार कर दिया है। हवाला दिया गया है कि जिस रेट पर कपड़े की मांग की गई है, उस रेट पर खादी का कपड़ा दे पाना संभव नहीं है। लखनऊ क्षेत्रीय गांधी आश्रम के महामंत्री बृजभूषण पांडेय ने प्रमुख सचिव खादी ग्रामोद्योग को पत्र लिखकर बताया है कि कपड़े की दर 84 से 102 रुपये प्रति मीटर पड़ेगी।

ये भी तब, जब इसमें 25 प्रतिशत की छूट भी दी गई है। लिहाजा शासन के बताए रेट पर कपड़े की बिक्री नहीं की जा सकेगी। इसी तरह आगरा के क्षेत्रीय गांधी आश्रम के मंत्री शंभू नाथ चौबे ने पत्र लिखकर बोर्ड को बताया है कि उनके पास जो कपड़ा है उसका रेट 162 रुपये प्रति मीटर के दर से है, जिसपर 20 प्रतिशत की छूट के बाद रेट 129.60 रुपये पड़ेगा।

ऐसे में 65 रुपये प्रति मीटर के हिसाब से कपड़ा दे पाना संभव नहीं है। शंभू नाथ चौबे ने बताया कि जिस रेट पर कपड़ा देने को शासन का अफसरों ने कहा है, वो तो लागत भी नहीं है। बिना किसी फायदे के भी 65 रुपये में कपड़ा देना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया की उन्नाव में 65 रुपये में सप्लाई दी गई है लेकिन जो कपड़ा सप्लाई किया गया है, वो खादी नहीं बल्कि मारकीन है। शंभूनाथ चौबे ने ये भी बताया कि अफसरों ने मीटिंग में जब रेट तय किये, तो उस समय संस्था की ओर से किसी को भी शामिल नहीं किया गया और इसीलिए ये समस्या खड़ी हुई है।

क्या कहना है खादी बोर्ड का

खादी ग्रामोद्योग बोर्ड ने प्रदेश के क्षेत्रीय गांधी आश्रमों के कपड़ा देने से इनकार करने के बाद दूसरे विकल्प को चुनना शुरू कर दिया है। बोर्ड के प्लानिंग अफसर महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि प्रदेश की दूसरी संस्थाओं से बातचीत की गई है। ऐसी संस्थाएं 65 रुपये के दर पर कपड़ा देने को राजी हो गई हैं। हर जिले में स्थानीय अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे संस्थायों से कपड़ा लेकर मास्क बनवाएं और उसका वितरण करवाएं। उन्होंने साफ कहा कि जो रेट तय किया गया है, उसी पर कपड़ा खरीदा जाएगा। यदि क्षेत्रीय गांधी आश्रम इस रेट पर कपड़ा नहीं दे पा रहा है तो कोई बात नहीं। लेकिन मुख्यमंत्री के आदेशों का शत-प्रतिशत पालन कराया जाएगा। बता दें कि 1 मीटर कपड़े से 8 मास्क बनाये जा सकते हैं, जो ट्रिपल लेयर के होंगे।

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