आलोक वर्मा के खिलाफ दो हफ्ते में पूरी हो जांच: सुप्रीम कोर्ट
(सीबीआई) के डायरेक्टर आलोक वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव सिर्फ रूटीन काम-काज देखेंगे। जांच के दौरान वह कोई नीतिगत फैसला नहीं लें पाएंगे।
सीजेआई रंजन गोगोई ने इसी के साथ आलोक वर्मा मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को जांच पूरी करने के लिए दो हफ्तों की डेडलाइन दी है।
कोर्ट ने कहा कि सीवीसी इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी करे। ऐसे में मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक की निगरानी में की जाएगी।
मामले पर अगली सुनवाई दिवाली के बाद 12 नवंबर को होगी। कोर्ट ने इसके अलावा केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है, जिसमें उससे जवाब मांगा गया है।
इससे पहले, सीबीआई में नंबर के अफसर राकेश अस्थाना ने भी खुद को छुट्टी पर भेजने वाले फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी।
आपको बता दें कि वर्मा ने अपनी जनहित याचिका में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा फोर्स लीव (जबरन छुट्टी) पर भेजने और नागेश्वर राव को संगठन का अंतरिम निदेशक बनाने वाले केंद्र के फैसले को लेकर कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर कोर्ट ने ये अहम बातें कहीं।
वर्मा की याचिका पर तीन जजों ने सुनवाई की। इनमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल रहे। कोर्ट में इस दौरान वर्मा का पक्ष वकील फली एस.नरीमन ने रखा,
जबकि मुकुल रोहातगी अस्थाना की ओर से तर्क पेश कर रहे थे। वहीं, सीवीसी के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता थे।
राहुल गांधी के आह्वान पर बिहार की राजधानी पटना में भी शुक्रवार सुबह कांग्रेसियों ने सीबीआई दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
वे यहां तख्तियों और बैनरों के जरिए सीबीआई डायरेक्टर को अचानक से छुट्टी पर भेजने को लेकर विरोध जता रहे हैं। कुछ तख्तियों पर तो लिखा मिला- मोदी भगाओ, सीबीआई बचाओ।

