आजम खां :”मजाक बनाओ मेरा, कहो एक ढोंगी आता है, एक मदारी आता है बस आंसू बहाता है चला जाता है”
रामपुर से सांसद आजम खां उपचुनाव की जनसभा में फिर भावुक हो गए।
उन्होंने कहा मैं तो यह समझता था कि हिंदुस्तान के करोड़ों लोग मुझे एक अच्छे सियासतदां और एक अच्छे इंसान के तौर पर जानते हैं।
बहुत कम उम्र से यहां तक का सफर जिसमें मैंने मलियाना, हैदराबाद का रंग, कैराना और
मुरादाबाद की ईदगाह का रंग देखा है।
मैंने लाखों लड़ते हुए लोगों का खून सड़कों पर गिरते पानी से भी सस्ते बहते देखा है।
उन्होंने कहा कि मेरी सियासी जिंदगी का सफर जिंदाबाद के नारों से शुरू नहीं हुआ था।
मेरा सफर मजलूम और कमजोरों की लड़ाई से शुरू हुआ था।
मामूली सफर नहीं है मेरी जिंदगी का।
इतना लंबा सफर गुजारने के बाद तुम्हारा यह साथी आज एक किलो वजन बढ़ाकर नहीं बल्कि 22 किलो वजन घटाकर तुम्हारे सामने खड़ा है।
खां ने कहा कि जिसे तुम अपना आइडियल मानते हो वो चोर है, डाकू है।
बताओ इस एहसास को लेकर कोई खुद्दार गैरतदार इंसान जिंदा रह सकता है,
मगर मैं जिंदा हूं। मैं अपराधी हूं, मुजरिम हूं। इसलिए मुजरिम हूं कि मैं आपका वकील हूं।
मैं आपकी खुशियां चाहता हूं, मैंने आपके शहर को इस उत्तर प्रदेश को आपके मामलात को,
आपका तीन तलाक का मसला हो, अयोध्या राम जन्म भूमि हो, कानूनी शरीयत हो,
मैंने यही तो कहा यह जादती मामला है।
आपसी लड़ाई का नहीं अदालत के फैसले का इंतजार करो और क्या कहा यही लड़ाई तो लड़ी उसी की तो सजा है यह।
क्यों हार गया वो जिसने दौलत के अंबार लगा दिए यहां पर।
तुमने इस शख्स को क्यों जीता दिया, यह है सजा जमाने की।
तुम गैरत के इंतिहान में पास हो गए इसीलिए जमाना तुमसे नाराज हो गया।
मेरी जिंदिगी से और क्या हिसाब लोगे और वजीर बनकर क्या बना लिया
मैंने, मुझसे सवाल हुआ महिला थाने में कि हिंदुस्तान के बाहर आपकी कितनी जायदादें हैं।
उन्होंने ने कहा पार्लियामेंट का चुनाव जीतने के बाद कितने खुशियों के पहाड़ टूटे मुझ पर, बस यही तो मिला मुझे आपसे।
बस आंसू मांगने आता हूं। हंसो मेरे ऊपर, मजाक बनाओ मेरा, कहो एक ढोंगी आता है, एक मदारी आता है बस आंसू बहाता है
चला जाता है लेकिन 22 किलो वजन घटाकर आता है।