INDIAN RAILWAYS पर भी मंदी का असर पड़ रहा है।
इस बात के संकेत रेलवे की माल ढुलाई के आंकड़ों से मिल रहे हैं।
रेलवे की माल ढुलाई को प्रायः अर्थव्यवस्था की सेहत के संकेत के रूप में देखा जाता है।
अगस्त महीने में रेलवे की कोयले की ढुलाई में महत्वपूर्ण रूप से कमी देखी गई है।
वहीं सीमेंट, धातु अवशेष व अन्य सामानों की ढुलाई भी प्रभावित हुई है।
अगस्त में रेलवे ने सभी वस्तुओं को मिलाकर करीब 3000 वैगन प्रतिदिन लोडिंग की।
इनमें से सबसे अधिक कोल इंडिया के कोयले की लोडिंग रही।
मालूम हो कि रेलवे सबसे अधिक कोयले की ढुलाई करती है।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चूंकि रेलवे अर्थव्यवस्था की मांग से संचालित होता है,
ऐसा लगता है कि अभी प्रमुख वस्तुओं की मांग कम है।
ऐसा सभी के साथ हैं लेकिन इस महीने यह संख्या के रूप में दिखना शुरू हो गया है।
सामान्य रूप से मानसून के मौसम के दौरान कोयले की लदान के आंकड़े कम होते हैं
लेकिन अधिकारी ने अनुमान जताया कि बरसात के मौसम में भी ग्राहक की तरफ से चीजें बेहतर होंगी।
पिछले साल अगस्त में कोयले की लदान प्रतिदिन 253 रेक थी।
वहीं इस साल औसत लदान गिरकर 216 रेक प्रतिदिन हो गई है।
पावर प्लांट के पास पहले सी कोयले का भंडार जमा है।
ऐसे में वे ज्यादा कोयला एक स्थान से दूसरे स्थान नहीं भेज या मंगा रहे हैं।