राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद मंगलवार को जम्मू पहुंचे।
सुरक्षाबलों ने उन्हें वहीं रोककर वापस दिल्ली भेज दिया।
इससे पहले भी आजाद ने एक बार घाटी में जाकर नेताओं से मिलने का प्रयास किया था,
मगर सुरक्षाबलों ने उन्हें दिल्ली लौटने पर मजबूर कर दिया था।
5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिया था।
अनुच्छेद 370 और 35-ए को निष्प्रभावी कर दिया था। इसके बाद से ही घाटी के हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं।
हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि हालात को जल्द से जल्द सामान्य बनाने के प्रयास किए जा रहे तृणमूल
नेता डेरेक ओ ब्रायन और माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी घाटी में नेताओं से मुलाकात की थी।
इन नेताओं को श्रीनगर एयरपोर्ट पर ही रोककर वापस भेज दिया गया था।
येचुरी राज्य इकाई के नेताओं से मुलाकात करने के लिए गए थे।
उनके साथ भाकपा नेता डी राजा को भी दिल्ली वापस भेजा गया था।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 2011 बैच के टॉपर और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के संस्थापक
शाह फैसल को 14 अगस्त को दिल्ली एयरपोर्ट पर हिरासत में ले लिया गया था।
वह तुर्की की राजधानी इस्तांबुल जाने की कोशिश में थे,
लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें एयरपोर्ट पर ही पकड़ लिया।
फैसल को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया। उन्हें श्रीनगर ले जाकर नजरबंद किया गया।
शाह फैसल ने मंगलवार को कश्मीर से अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी करने को लेकर एक विवादित बयान दिया था।
उन्होंने कहा था कि कश्मीरियों के पास दो ही रास्ते हैं, वे या तो कठपुतली बनें या अलगाववादी।
इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। फैसल ने ट्वीट कर कहा था कि राजनीतिक अधिकारों को फिर से पाने के लिए कश्मीर को लंबे,
निरंतर और अहिंसक राजनीतिक आंदोलन की जरूरत है।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को नजरबंद कर दिया गया था।
इन दोनों के साथ-साथ सज्जाद लोन को भी नजरबंद किया गया।
केंद्र सरकार ने 6 अगस्त को ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को घाटी की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के लिए घाटी में 10 दिनों के दौरे पर भेजा था।
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