बाराबंकी: CDO के ‘अटेंडेंस विद सेल्फी’ के तरीके से कुछ शिक्षक खुश हैं, तो कइयों को रास नहीं आ रहा ये तरीका

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बाराबंकी। नवागत सीडीओ (मुख्य विकास अधिकारी) ने शिक्षकों को समय से स्कूल पहुंचाने का नायाब तरीका निकाला है। शिक्षक अब ग्रुप में स्कूल से सेल्फी खींच कर 8 बजे तक विभाग द्वारा बनाए गए वॉट्सएपग्रुप में अपलोड करेंगे।
इसके बाद ही उनकी उपस्थिति दर्ज हो पाएगी। भूल से भी यदि ऐसा नहीं किया तो एक दिन का वेतन भी कट जाएगा।

अटेंडेंस विद सेल्फी

बाराबंकी में आईएएस मेघा रूपम सीडीओ हैं। जिले में उन्हें स्कूलों में शिक्षकों के स्कूल न जाने की काफी शिकायतें मिल रही थीं। तब उन्होंने अटेंडेंस विदसेल्फी कोयहां भी शुरू किया और देखते ही देखते पहले महीने में ही शिक्षकों की अटेंडेंस लगभग 99% तक पहुंच गईं।
मेघा रूपम ने बताया कि हमने अटेंडेंस ट्रैक करने के लिए एक सेल बनाया हुआ है। जहां एमपीआरसी फिर एबीएसए और फिर बीएसए हैं। इनके पास से होती हुई रिपोर्ट हमारे पास आती है। साथ ही मेरे विभाग से भी लोग ग्रुप में हैं। साथ ही मेरा मोबाईल नंबर भी इसमें है।मैं भी ग्रुप चेक कर लेती हूं।
टीचर पारुल शुक्ला कहती हैं यह पहल बहुत अच्छी है। इससे जो टीचर समय पर नहीं आ रहे थे, वह भी अब पहुंच रहे हैं। लेकिन ऐसे गलत टीचर सिर्फ 5% या 10% ही हैं। इस पहल से उन सब टीचर्स पर सवाल खड़ा हो गया है जो समय पर आते हैं।
यह एक तरह से हमारे आत्मसम्मान पर हमला है। क्यों हर बार हर अधिकारी बेसिक शिक्षा विभाग के टीचर्स को शक के दायरे में रखता है। क्या सभी विभाग एकदम ईमानदार हैं।
जिस तरह से 5% से 10% गलत टीचर्स बेसिक विभाग में हैं, उसी तरह इतने लोग लगभग हर विभाग में हैं। ऐसे में यह नया नियम लागू करना है तो सब पर लागू करिए। इस तरह से लोगों में एक मैसेज जाता है कि सरकारी विभाग के टीचर्स नकारे हैं जो कि गलत है।
सीडीओ मेघा रूपम ने बताया कि इसे आत्मसम्मान से जोड़ना गलत है। इसे हमने अपने विभाग में भी लागू किया है। अब ग्राम सचिव रोस्टर के हिसाब से अलग-अलग गांव में जाकर वहां से सेल्फी भेज रहे हैं।
साथ ही जल्द ही आंगनबाड़ी में भी यह नियम लागू किया जाएगा। मेघा रूपम का कहना है कि यह सारी कवायद एजुकेशन क्वालिटी सुधारने के लिए हैं। सभी सरकारी विभागों में अटेंडेंस एक बेसिक प्रक्रिया है।
अब जल्द ही स्कूलों में बायोमेट्रिक व्यवस्था हो जाएगी। उन्होंने बताया इसके बाद अब अगला कदम अलग लग विषयों के टीचर्स और उनके स्टूडेंट्स को ट्रैक कर एजुकेशन की क्वालिटी को बढाने पर जोर देंगे।
प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील पाण्डेय भी बाराबंकी जिले में टीचर हैं। वह भी इस नियम के खिलाफ शासन में भागदौड़ कर रहे हैं।
इनकी भी एक दिन की सैलरी कट चुकी है। सुशील पाण्डेय ने बताया कि हमारा विरोध इसलिए है कि अभी ऐसे कई बुजुर्ग टीचर हैं जिन्हें स्मार्टफोन चलाना नहीं आता है।
इसके लिए हमने चीफ सेक्रेटरी से शिकायत भी की है। हालांकि उन्होंने बताया कि हमारी मांग है कि हमें नया एंड्राइड मोबाइल और मोबाइल डेटा दिया जाये साथ ही यह पूरे प्रदेश में एक सामान रूप से लागू हो। तभी यह नियम बाराबंकी में भी लागू हो।
2017 में योगी सरकार बनने के बाद कई जिलों में इस तरह के नियम टीचर्स पर लागू किये गए थे लेकिन कुछ दिन बाद सब फिर पहले जैसा हो गया।
इस नियम को 2017 में चंदौली, कानपुर और बुलंदशहर में तत्कालीन जिलाधिकारियों द्वारा शुरू किया गया था। लेकिन उस जिले से ट्रांसफर होते ही नियम खत्म कर दिया गया।
रूपम ने भी बताया कि जब वह उन्नाव में बतौर एसडीएम तैनात थीं तब उन्होंने अपने क्षेत्र में यह नियम शुरू किया था लेकिन ट्रांसफर होते ही नियम भी खत्म हो गया।

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