गोरखपुर : ‘प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का अध्यक्ष बनाना उचित नहीं है. यह पद शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली, चयन प्रक्रिया और समस्याओं को समझने वाले व्यक्ति के हाथ में ही होना चाहिए. यह पुलिस डिपार्टमेंट नहीं है. शिक्षा विभाग में उनका क्या काम है?. हमको लगता है कि चयन आयोग अपने उद्देश्यों में विफल हो जाएगा’.
ये बातें माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी ने कही. गुरुवार को वह संगठन के प्रदेश स्तरीय सम्मेलन में बतौर अतिथि शामिल हुए. कार्यक्रम के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत की.
कीर्ति पांडेय को बनाया गया था अध्यक्ष : प्रदेश महामंत्री ने कहा कि यह इस प्रदेश का दुर्भाग्य है कि इसके पहले गोरखपुर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर कीर्ति पांडेय को शिक्षा सेवा चयन आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था. उनका कार्यकाल साल भर भी नहीं हुआ था. उन्हें काम करने ही नहीं दिया गया.
‘इस्तीफा दिया नहीं, ले लिया गया’ : द्विवेदी ने कहा कि मेरा मानना है कि उन्होंने इस्तीफा दिया नहीं बल्कि उनसे इस्तीफा ले लिया गया. पूर्व डीजीपी की नियुक्ति इस बात को बता रही है कि प्रदेश सरकार की मंशा ऐसे पुलिस अधिकारियों को उपकृत करना है. इसी वजह से कीर्ति पांडेय जैसी शिक्षाविद को हटा दिया गया.
सम्मेलन में पेंशन, नियुक्त समेत कई मुद्दे उठे : शिक्षक संघ के सम्मेलन में शिक्षकों की पेंशन से लेकर नियुक्ति समेत कई मुद्दे उठाए गए. शिक्षकों ने कहा कि सरकार उनकी समस्याओं के समाधान पर ध्यान नहीं दे रही है. पिछले 8 वर्षों में सिर्फ वर्ष 2021 में शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हुई. उसके बाद की नियुक्ति विवादों में घिर रही.
लखनऊ में भी आवाज बुलंद करेंगे शिक्षक’ : शिक्षकों सम्मेलन में कहा कि परीक्षा की तिथियां लगातार बदलती गईं. माध्यमिक स्कूलों के भवन से लेकर, सहायता प्राप्त स्कूलों की दशा बेहद खराब है. इंफ्रास्ट्रक्चर जहां कमजोर हो रहा है वहीं शिक्षकों की गुणवत्ता में कमी से छात्र पलायन कर रहे हैं. पूरी शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतर रही है. शिक्षकों के हकों को लेकर जनवरी में लखनऊ में आवाज बुलंद की जाएगी
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