मां की लाश फ्रीजर में रखवा दो, घर में शादी है अपशकुन होगा! कपूतों की बात सुन फूट-फूटकर रोए बुजुर्ग पिता

राष्ट्रीय जजमेंट

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से दिल को झकझोर देने वाली एक घटना सामने आई है। यहां कलयुगी बेटों ने अपनी मां के शव को घर लाने से मना कर दिया और पिता से कहा कि फ्रीजर में रखवा दीजिए। घर में शादी है, 4 दिन बाद दाह संस्कार किया जाएगा। यह सुन पिता अवाक रह गए।बेटियों के कहने पर वृद्धाश्रम के कर्मचारियों ने शव को गांव तक पहुंचाया। ग्रामीणों ने शव को राजघाट के किनारे मिट्टी में दफना दिया गया। अब पति इस उहापोह में हैं कि पत्नी की लाश चार दिन में सड़ जाएगी, फिर उनका दाह संस्कार आखिर कैसे हो पाएगा?बेशर्म बेटों को कोस रहे गांव वालेजिसने भी यह घटना सुनी सभी दंग रह गए। गांव वाले बाद उन बेशर्म बेटों को कोस रहे हैं, जिन्होंने जीते जी अपने मां-बाप को वृद्ध आश्रम जाने को मजबूर किया और अब मां की मौत के बाद लाश को भी घर लाने से मना कर रहे हैं।भुआल गुप्‍ता के तीन बेटे और तीन बेटियांयह पूरा मामला कैंपियरगंज थाना क्षेत्र के भरोहिया ग्राम पंचायत की है। गांव निवासी 68 वर्षीय भुआल गुप्ता और 65 वर्षीय पत्नी शोभा देवी की 6 संतान हैं। तीन बेटे और तीन बेटियां। रामभुवाल ने गांव में ही किराने की दुकान खोल रखी थी, जिससे पूरे परिवार का भरण-पोषण किया।पत्‍नी संग आत्‍महत्‍या करने का किया प्रयाससमय बीतता गया। भुआल ने अपनी सभी संतानों की शादी कर दी। नाती-पोते वाले भी बन गए। एक साल पहले उनके ऊपर वज्रपात हुआ जब तीनों बेटों ने माता-पिता को बोझ बताया और घर से निकल जाने के लिए कहा। आवेश में आकर नाराज पिता ने पत्नी के साथ घर त्याग दिया। दोनों जीवन लीला समाप्त करने के उद्देश्य से राजघाट नदी तट पर पहुंच गए।मथुरा और अयोध्‍या में नहीं बन पाई रहने की व्‍यवस्‍था किसी भले मानस ने उन्हें समझा-बुझा कर ऐसा करने से रोक दिया और कहा कि आप अयोध्या या मथुरा चले जाएं, वहां आप लोगों का गुजर-बसर हो जाएगा। यह सुन भुआल अपनी पत्नी संग अयोध्या फिर मथुरा पहुंचे, लेकिन वहां उनकी कोई स्थायी व्यवस्था नहीं बन पाई।
जौनपुर के वृद्ध आश्रम में रहने लगे दंपती इसी दौरान निराश दंपति को किसी से जौनपुर निवासी रवि चौबे का नंबर मिला जो वृद्ध आश्रम चलाते हैं। भुआल ने बड़ी आशा के साथ फोन मिलाया तो रवि चौबे ने उन्हें अपने यहां बुला लिया। तब से भुआल अपनी पत्नी संग जौनपुर स्थित वृद्ध आश्रम में रह रहे थे। इस दौरान एक बार भी बेटों ने माता-पिता का हाल-चाल जानने की कोशिश नहीं की। दंपति अपने छोटे बेटे से फोन पर कभी-कभी बात कर लिया करते थे।पत्‍नी की किडनी खराबआश्रम संचालक रवि चौबे के अनुसार, 19 नवंबर को भुआल की पत्नी शोभा देवी की तबियत अचानक बिगड़ गई। उन्हें प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया ,जहां डॉक्टरों ने दोनों किडनी खराब होने की बात कही। रात को अस्पताल में ही शोभा देवी ने अंतिम सांस ली।छोटे बेटे ने कहा- बड़े भैया के लड़के की शादी हैभुआल के कहने पर उनके छोटे बेटे को फोन लगाया गया और सूचना दी गई कि उनकी माता की मौत हो गई है, कृपया लाश घर लेते जाएं। उधर से जवाब मिला कि अभी बड़े भैया से पूछ कर बताता हूं। 10 मिनट बाद छोटे बेटे का फोन आता है कि घर में बड़े भैया के लड़के की शादी है। ऐसे में लाश आएगी तो अपशगुन होगा। कृपया लाश को फ्रीचर में रखवा दिया जाए। 4 दिन बाद आकर दाह संस्कार कर दिया जाएगा।एंबुलेंस के जरिये गांव पहुंचाया गया शवजैसे ही वृद्ध पिता ने यह बात सुनी वह सीने पर हाथ रख जमीन पर बैठकर बिलखने लगे। आसपास मौजूद लोगों ने उन्हें शांत कराया। इसकी जानकारी जैसे ही बेटियों को हुई, उन्होंने पिता से कहा कि मां के शव को गांव लेकर आइए। हम उनका अंतिम संस्कार करेंगे। इसके बाद रवि चौबे ने एंबुलेंस के जरिये शव को कैंपियरगंज स्थित उनके गांव पहुंचायाबेटियों ने घाट तक पहुंचाया शवमां की लाश गांव पहुंची पर बेटों का दिल नहीं पसीजा। तीनों में से कोई कोई भी मां के अंतिम दर्शन करने नहीं आया। बेटियों ने ग्रामीणों की सहायता से लाश को घाट तक पहुंचाया। किसी ने राय दी कि यदि अंतिम संस्कार करना है तो फिलहाल लाश यही दफना दिया जाए। 4 दिन बाद निकाल कर दाह संस्कार कर दिया जाएगा। पति का कहना था कि तब तक लाश सड़ चुकी होगी।पंडित से राय ली गई
पंडित से राय ली गई तो उनका कहना था कि पुतला बनाकर बाद में अंतिम संस्कार किया जा सकता है। तब जाकर तीनों बेटियों की मौजूदगी में लाश को दफनाया गया और लाचार भुआल अपनी बेटियों संग वापस लौट आए।भगवान किसी को भी ऐसी संतान न दे: भुआल गुप्‍तारोते हुए भुआल गुप्‍ता ने कहा कि आखिर किस मनहूस घड़ी में मैंने ऐसे कपूतों को जन्म दिया जो जीते जी तो हमारा सहारा नहीं बन सके, लेकिन मां की मौत के बाद भी उनका दाह संस्कार नहीं कर पाए। भगवान किसी को भी ऐसी संतान न दे।गांव वालों की आंखों में दर्द भरे आंसूइस घटना के बाद गांव वालों की आंखों में दर्द भरे आंसू थे, लेकिन आक्रोश भी कम नहीं था। एक बुजुर्ग राम प्रसाद कहते हैं कि कैसे कोई जीते जी अपने माता-पिता को बेघर कर सकता है? थू है ऐसे लोगों पर। हम उनसे अपना सारा नाता तोड़ रहे हैं।

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