फर्जी जॉब रैकेट का पर्दाफाश, इंडिगो एयरलाइंस के नाम पर लाखों की ठगी, 9 ठग गिरफ्तार

नई दिल्ली: नौकरी की तलाश में भटकते युवाओं को चूना लगाने वाले एक बड़े फर्जी जॉब रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए दक्षिण जिले के साइबर पुलिस स्टेशन ने नौ ठगों को धर दबोचा। इसमें मास्टरमाइंड विकास कुमार उर्फ विक्की, टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी बलबीर सिंह और सात महिला टेलीकॉलर शामिल हैं। आरोपी ओएलएक्स पर फर्जी विज्ञापनों के जरिए इंडिगो एयरलाइंस की नौकरी का लालच देकर बेरोजगारों से प्रोसेसिंग फीस व अन्य नामों पर लाखों रुपये ऐंठते थे। जांच में 40 से ज्यादा शिकायतें उनके नाम से जुड़ी पाई गईं। पुलिस ने ठगों के कब्जे से 23 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, 19 सिम कार्ड, बैंक खातों के क्यूआर कोड और वाई-फाई राउटर बरामद किया। आठ यूपीआई आईडी भी जब्त हुईं, जो इंडिगो के नाम पर बनी थीं। ये आईडी ठगी की रकम लूटने के लिए इस्तेमाल होती थीं।

मामला तब पकड़ में आया जब अमरजीत यादव ने एनसीआरपी पर शिकायत दर्ज की। ओएलएक्स पर जॉब सर्च करते हुए उन्हें दो नंबरों से कॉल आई। इंडिगो एयरलाइंस में एयरपोर्ट जॉब का झांसा देकर 11 हजार रुपये ऐंठ लिए गए। शिकायत के आधार पर साइबर साउथ थाने में धारा 318(4)/319(2) बीएनएस के तहत केस दर्ज हुआ। एसीपी ऑपरेशंस अरविंद कुमार की निगरानी में इंस्पेक्टर हंसराज स्वामी के नेतृत्व में टीम गठित की गई। तकनीकी विश्लेषण से ठिकाना सुभाष नगर-तिलक नगर में ट्रेस हुआ। छापे में विक्की को पकड़ा गया, उसके पास पांच मोबाइल मिले। पूछताछ में गणेश नगर में फर्जी कॉल सेंटर का राज खुला। वहां सात महिलाओं को फोन कॉल्स करते पकड़ लिया गया।

ये महिलाएं ‘जॉब है’ और ‘वर्क इंडिया’ जैसे पोर्टल्स से भर्ती हुई थीं। उन्हें महीने के 15,000 रुपये नकद मिलते थे। वे स्क्रिप्ट के आधार पर जॉब सीकर्स को कॉल कर डिटेल्स निकालतीं। आगे जांच में पता चला कि सिम कार्ड विकस्पुरी के टेलीकॉम स्टोर से जारी हुए थे। वहां सेकेंड इन-चार्ज बलबीर सिंह बायोमेट्रिक डेटा चुराकर फर्जी सिम जारी करता था। विक्की व उसके साथी सूरज व कपिल ने गणेश नगर में कॉल सेंटर चला रखा था। ओएलएक्स पर एयरलाइंस जॉब के फर्जी ऐड डाले जाते। रिस्पॉन्स पर टेलीकॉलर इंडिगो के कर्मचारी बनकर बात करतीं। पहले 2,500 रुपये सिक्योरिटी, फिर पांचसे आठहजार यूनिफॉर्म व जूतों के नाम पर, आखिर में दस-पन्द्रह हजार सैलरी अकाउंट खोलने के बहाने ऐंठे जाते। छोटी-छोटी रकम से सैकड़ों को चूना लगाया, इसलिए ज्यादा शिकायतें नहीं हुईं। रैकेट एक साल से चल रहा था। आगे की जांच जारी है, और नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है।

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