राष्ट्रीय जजमेंट
लखनऊ: कई बार सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में बैठे डॉक्टर मरीज को बाहर की दवाइयां लिख देते हैं, जो काफी महंगी होती हैं और आम जनमानस के बजट के बाहर भी होती हैं. जिला अस्पतालों में ज्यादातर ऐसे मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं, जो आर्थिक तौर पर मजबूत नहीं होते हैं.ऐसे व्यक्ति को अगर 15 दिन की दवाई ढाई से 3 हजार में खरीदनी पड़ जाए तो उनका बजट बिगड़ जाता है. लेकिन, अब सरकारी जिला अस्पतालों में चिकित्सक बाहर की महंगी दवाई नहीं लिख सकेंगे. अगर कोई डॉक्टर पर्चे पर बाहर की दवाई लिखता है और इसकी शिकायत मिलती है तो उस पर कार्रवाई होगी.शासन की तरफ से यह निर्देश जारी किया गया है कि किसी भी सरकारी अस्पताल में मरीज को महंगी दवाई नहीं लिखी जाएंगी. यदि कोई ऐसा करता हुआ पाया गया और उसकी शिकायत हुई तो उसे निलंबित किया जाएगा. इसके अलावा अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी जिम्मेदार होंगे.सरकारी अस्पतालों में उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाइज कार्पोरेशन की ओर से भेजी जाने वाली करीब 200 से अधिक दवाएं उपलब्ध रहती हैं. इसके अलावा जेनेरिक दवा के लिए जन औषधि केंद्र हैं. डॉक्टरों को सरकारी अस्पताल में मौजूद दवाएं और जेनेरिक दवाएं लिखने का आदेश है, लेकिन कई जगह डॉक्टर सरकारी पर्चे पर अस्पताल की कुछ दवाएं लिखने के साथ अलग से सादी पर्ची पर ब्रांडेड दवाएं भी लिख देते हैं.स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित कुमार घोष ने चेतावनी दी है कि सादी पर्ची पर दवा लिखी मिली तो संबंधित डॉक्टर के खिलाफ निलंबन तक की कार्रवाई होगी. जो दोषी डॉक्टर है, उस पर तो कार्रवाई होगी ही, साथ में अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी जिम्मेदार होंगे.इसके अलावा अस्पताल के समय ओपीडी कक्ष से गायब रहने वाले डॉक्टर भी चिह्नित किए जाएंगे. इसके लिए संबंधित अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक भी जिम्मेदार होंगे. उन्होंने सुधरने की चेतावनी देते हुए कहा कि 15 नवंबर के बाद शासन स्तर की टीमें अस्पतालों का निरीक्षण करेंगी. अस्पताल अधीक्षक व प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों को सुबह से दोपहर 2 बजे तक 3 बार पूरे परिसर का राउंड लेना होगा.ज्यादातर अस्पतालों में देखा गया है कि पर्चे पर डॉक्टर बाहर की दवा नहीं लिखते हैं लेकिन एक पर्ची में महंगी ब्रांडेड दवाएं लिख देते हैं. अगर कोई चिकित्सक इस तरीके से सादी पर्ची पर दवा लिखकर मरीज को दे रहा है तो वह अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक या निदेशक से शिकायत कर सकता है. इसके अलावा स्वास्थ्य महानिदेशक के पास भी पत्र लिखकर शिकायत की जा सकती है.
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