राष्ट्रीय जजमेंट
लखनऊ: लखनऊ में एससी-एसटी कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए वकील परमानंद गुप्ता को सजा सुना दी है। वकील परमानंद गुप्ता को झूठे मुकदमे दर्ज कराने के मामले में 12 साल की सजा और 45 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। आरोप है कि परमानंद ने निजी लाभ और विरोधियों पर दबाव बनाने के लिए झूठे केस दर्ज कराए थे। इसी मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने वकील को सजा सुना दी है।
दरअसल यह पूरा मामला थाना चिनहट क्षेत्र से जुड़ा है, जहां एडवोकेट परमानंद गुप्ता ने अनुसूचित जाति की महिला पूजा रावत के नाम का सहारा लेकर अपने विरोधियों विपिन यादव, रामगोपाल यादव, मोहम्मद तासुक और भगीरथ पंडित के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट और दुराचार के तहत झूठे मुकदमे दर्ज कराए थे। जांच में ये आरोप सही पाए गए थे। विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी एक्ट) ने अपने आदेश में कहा कि वकील परमानंद गुप्ता ने न केवल कानून का दुरुपयोग किया, बल्कि न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता को भी ठेस पहुंचाई है।
मिल रही जानकारी के मुताबिक, कोर्ट ने पूजा रावत को भी चेतावनी दी है कि अगर भविष्य में वह या कोई अन्य व्यक्ति परमानंद के कहने पर झूठे मुकदमे दर्ज करेगा तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने भी निर्देश दिया है कि जब भी एससी-एसटी एक्ट या दुष्कर्म के मामले दर्ज हो तो यह जांच की जाए कि शिकायतकर्ता या उसके परिवार ने पहले कितने मुकदमे दर्ज कराए हैं।
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