78वां निरंकारी सन्त समागम: ब्रह्मबोध से आत्मबोध का संदेश, लाखों भक्तों का मिलन

समालखा : संत निरंकारी मिशन के 78वें वार्षिक सन्त समागम का आगाज शनिवार को हरियाणा के समालखा स्थित निरंकारी आध्यात्मिक स्थल पर हुआ। चार दिवसीय इस भव्य आयोजन में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु उमड़े। मुख्य विषय ‘आत्ममंथन’ पर केंद्रित समागम में सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने ब्रह्मबोध को आत्मबोध का आधार बताते हुए कहा, “परमात्मा का ज्ञान ही मनुष्य को उसके वास्तविक स्वरूप से जोड़ता है। निराकार परमात्मा ही शाश्वत सत्य है, बाकी सब अस्थायी।”

सतगुरु माता ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि विभिन्न धर्मों में अलग-अलग आस्थाएं हैं, लेकिन सब एक ही सत्य की ओर इशारा करते हैं। “जब हम इस स्रोत से जुड़कर एकत्व के भाव में समाहित हो जाते हैं, तो मन में कोई विपरीत भाव नहीं रहता।” उन्होंने भौतिक उपलब्धियों को क्षणभंगुर बताते हुए कहा कि पारिवारिक रिश्ते, सामाजिक पद और मन के विचार भी समय के साथ समाप्त हो जाते हैं। “स्थायी केवल परमात्मा है, जो बाहर-भीतर दोनों जगह विद्यमान है। ब्रह्मज्ञान अज्ञानता के अंधेरे को पल में दूर कर देता है, जैसे स्विच ऑन करने से कमरे में तुरंत उजाला हो जाता है।”

सतगुरु माता ने आत्ममंथन को आध्यात्मिक यात्रा बताया और कहा कि निरंकार का सतत अहसास रखते हुए गलतियों को सुधारना होगा। इससे समर्पण, विनम्रता जैसे गुण सहज उतरेंगे। अंत में उन्होंने शुभकामना दी कि हर जीवन भक्ति से भरपूर हो और प्रभु की रजा में प्रेमपूर्ण चले।

समागम में हरियाणा के राज्यपाल आशिष कुमार घोष पत्नी सहित पहुंचे और सतगुरु माता जी व निरंकारी राजपिता से आशीर्वाद लिया। अपने संबोधन में उन्होंने मिशन की दिव्य विचारधारा और मानवता के प्रति निष्काम सेवाओं की प्रशंसा की। राज्यपाल ने मंच के निकट सेवादल सदस्यों से बातचीत कर उनकी समर्पित सेवा भावना, मर्यादा व अनुशासन की सराहना की।

सेवादल रैली ने बिखेरी छटा  

समागम के दूसरे दिन की शुरुआत भव्य सेवादल रैली से हुई। भारत व विदेशों से आए हजारों सेवादल सदस्यों ने शारीरिक व्यायाम, खेल, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और मिशन शिक्षाओं पर आधारित लघु नाटिकाएं पेश कीं। सतगुरु माता जी ने रैली में श्वेत ध्वज फहराया। आशीर्वाद देते हुए उन्होंने कहा, “भक्त 24 घंटे सेवादार होता है, लेकिन वर्दी पहनकर सेवा की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। सेवा तन्मयता से करें, दिखावे से नहीं। यह मानवता के लिए योगदान बने।”

सेवादल मेंबर इंचार्ज विनोद वोहरा ने विश्वभर के स्वयंसेवकों के लिए सतगुरु के आशीर्वाद की कामना की। समागम में सत्संग, सुमिरण और सेवा का भाव हर कदम पर गूंज रहा है। अलग-अलग संस्कृतियों के भक्तों का प्रेमपूर्ण मिलन आत्ममंथन की सार्थकता सिद्ध कर रहा है।

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