दिल्ली-गुरुग्राम पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में मुठभेड़ में ढेर हुआ 50 हजार का इनामी बदमाश

नई दिल्ली: दिल्ली के दक्षिण-पूर्वी जिले की स्पेशल स्टाफ और गुरुग्राम क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम ने एक सनसनीखेज मुठभेड़ में कुख्यात अपराधी भीम महाबहादुर जोरा को ढेर कर दिया। नेपाल मूल का यह अपराधी जंगपुरा में मई 2024 में डॉ. योगेश चंदर पॉल की हत्या और डकैती के मामले में वांछित था। इसकी गिरफ्तारी पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था। मुठभेड़ में पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में गोली चलाई, जिसमें जोरा गंभीर रूप से घायल हो गया और बाद में एम्स ट्रॉमा सेंटर में उसकी मौत हो गई।

दक्षिण-पूर्वी जिले के डीसीपी हेमंत तिवारी ने बताया कि मई 2024 में, भीम जोरा और उसके गिरोह के सदस्यों ने जंगपुरा के हजरत निजामुद्दीन थाना क्षेत्र में डॉ. योगेश चंदर पॉल के घर डकैती की। इस दौरान डॉ. पॉल की हत्या कर दी गई। इस मामले में प्रारंभिक सफलता तब मिली जब स्पेशल स्टाफ की टीम ने जोरा के एक साथी, नौकरानी बसंती को गिरफ्तार किया। हालांकि, जोरा अपने अन्य साथियों के साथ नेपाल भाग गया था। पिछले 16 महीनों से दिल्ली पुलिस की स्पेशल स्टाफ उसकी तलाश में जुटी थी। आखिरकार, 6 अक्टूबर को गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने जोरा के दिल्ली में होने की जानकारी प्राप्त की। यह सूचना गुरुग्राम क्राइम ब्रांच के साथ साझा की गई, जिसके पास भी जोरा की गतिविधियों की खबर थी।

6-7 अक्टूबर की मध्यरात्रि को डीडीए आस्था कुंज पार्क, ईस्ट ऑफ कैलाश में पुलिस ने जाल बिछाया। इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह डागर और इंस्पेक्टर नरेंद्र शर्मा के नेतृत्व में गठित संयुक्त टीम में सब-इंस्पेक्टर शुभम चौधरी, विनोद, राजबीर, एएसआई अनिल, हेड कांस्टेबल राजेश, महेंद्र, प्रेम नारायण, एएसआई सतवीर, कांस्टेबल रोहित, प्रियांक और अजीत शामिल थे। इस ऑपरेशन की निगरानी एसीपी (ऑपरेशंस) और डीसीपी दक्षिण-पूर्वी हेमंत तिवारी कर रहे थे।

सूचना के आधार पर पुलिस ने जोरा को घेर लिया। पुलिस ने उसे आत्मसमर्पण करने की चेतावनी दी, लेकिन जोरा ने तुरंत पुलिस टीम पर छह गोलियां दाग दीं। दो गोलियां इंस्पेक्टर नरेंद्र शर्मा और सब-इंस्पेक्टर शुभम चौधरी के बुलेटप्रूफ जैकेट्स पर लगीं, जिससे वे बाल-बाल बच गए। जवाबी कार्रवाई में सब-इंस्पेक्टर शुभम चौधरी ने आत्मरक्षा में जोरा पर दो गोलियां चलाईं, जिनमें से एक उसके सीने में लगी। इसके बाद इंस्पेक्टर राजेंद्र डागर, नरेंद्र शर्मा और हेड कांस्टेबल राजेश ने जोरा पर काबू पाया और उसका हथियार छीन लिया। घायल जोरा को तुरंत एम्स ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।

आपराधिक इतिहास

नेपाल के कैलाली जिले के लालपुर गांव का रहने वाला 39 वर्षीय भीम महाबहादुर जोरा एक कुख्यात अपराधी था, जो भारत के महानगरों में सक्रिय एक नेपाली गिरोह का सरगना था। यह गिरोह फर्जी पहचान के जरिए अपने सदस्यों को अमीर परिवारों में नौकर, नौकरानी या ड्राइवर के रूप में नौकरी दिलवाता था। कुछ दिनों बाद, ये लोग नींद की गोलियों का इस्तेमाल कर परिवारों को बेहोश कर चोरी, डकैती और हत्या जैसी वारदातों को अंजाम देते थे। वारदात के बाद ये नेपाल भाग जाते थे।

जोरा 2014 से दिल्ली, गुरुग्राम, सूरत, बेंगलुरु और गाजियाबाद में कम से कम छह आपराधिक मामलों में शामिल था। इनमें जंगपुरा हत्याकांड, गुरुग्राम में दो चोरी के मामले, सूरत, कर्नाटक और गाजियाबाद में चोरी, डकैती और हत्या के मामले शामिल हैं।

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