दिल्ली से तमिलनाडु, बिहार से नेपाल, एएचटीयू ने छह हजार किमी दूरी तय कर नाबालिग को बचाया

नई दिल्ली: दिल्ली के शाहबाद डेरी इलाके से 16 साल की नाबालिग लड़की ‘पी’ के अपहरण के मामले में दिल्ली पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू), आउटर-नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट ने एक ऑपरेशन को अंजाम देते हुए उसे नेपाल सीमा से सुरक्षित बरामद कर लिया। इस अभियान में पुलिस ने छह हजार किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की, कई राज्यों में छापेमारी की और तकनीकी व मैनुअल जांच के जरिए अपहरणकर्ता के ठिकानों तक पहुंची। हालांकि, मुख्य आरोपी दिलीप अभी भी फरार है, लेकिन पुलिस ने उसकी तलाश तेज कर दी है।

डीसीपी हरेश्वर स्वामी ने बताया कि 14 मई को शाहबाद डेरी निवासी ने अपनी 16 वर्षीय बेटी के लापता होने की शिकायत थाने में दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर थाना शाहबाद डेरी में धारा 137(2) बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया गया। प्रारंभिक जांच में स्थानीय पुलिस ने मैनुअल और तकनीकी निगरानी के जरिए संदिग्ध दिलीप और पीड़िता का पता तमिलनाडु के तिरुपुर में लगाया। 8 जुलाई को तिरुपुर में छापेमारी की गई, लेकिन दिलीप ने पुलिस की मौजूदगी को भांप लिया और पीड़िता को लेकर अपने गृह गांव मुज्जिलिया, जिला सीतामढ़ी, बिहार भाग गया।

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए 15 जुलाई को जांच को एएचटीयू, आउटर-नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट को सौंप दिया गया। इस विशेष ऑपरेशन के लिए एक समर्पित टीम का गठन किया गया, जिसमें एएसआई सिद्धार्थ चिल्लर, एएसआई मनोज कुमार, एचसी संदीप, डब्ल्यू/एचसी सीमा, एएसआई दीपक, एचसी सुमन और एचसी कपिल शामिल थे। इस टीम की अगुवाई इंस्पेक्टर राजीव रंजन, एसीपी नरेंद्र खत्री, डीसीपी हरेश्वर स्वामी और जॉइंट कमिश्नर विजय सिंह के मार्गदर्शन में की गई।

 चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन: बिहार से नेपाल तक

टीम ने संदिग्ध और उसके रिश्तेदारों की जानकारी जुटाने के लिए गहन मैनुअल और तकनीकी निगरानी शुरू की। कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर), आईएमईआई सर्च, और सोशल मीडिया (इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, जीमेल) का विश्लेषण किया गया। इस आधार पर 22 जुलाई को संदिग्ध को बिहार के मुज्जिलिया में ट्रेस किया गया। लेकिन दिलीप एक बार फिर पुलिस को चकमा देकर अपने रिश्तेदार केदार पासवान के घर नेपाल के जिले सार (मोहतारी), गांव मंडकट्टी में पीड़िता के साथ भाग गया। नेपाल में भारतीय पुलिस की क्षेत्रीय सीमाओं के कारण तत्काल कार्रवाई संभव नहीं थी।

तमिलनाडु से चेन्नई तक: नया सुराग

पुलिस ने हार नहीं मानी। सीडीआर और ट्रेन रिजर्वेशन चार्ट के विश्लेषण से पता चला कि दिलीप 11 से 14 अगस्त 2025 के बीच पटना से चेन्नई होते हुए तिरुपुर गया था। इस जानकारी के आधार पर दो टीमें गठित की गईं। पहली टीम तिरुपुर पहुंची और वहां दिलीप के भाई सज्जन को एक गारमेंट एक्सपोर्ट फर्म से गिरफ्तार किया, जहां वह टेलर का काम करता था। सज्जन ने पूछताछ में खुलासा किया कि उसने जांच को भटकाने के लिए दिलीप का फोन इस्तेमाल किया था। उसने यह भी बताया कि दिलीप ने पीड़िता से शादी कर ली थी और वे नेपाल में केदार पासवान के घर छिपे थे। सज्जन ने यह भी खुलासा किया कि केदार के बेटे विकास और विशाल चेन्नई में एक रेस्तरां चेन में अवैध रूप से काम कर रहे थे।

चेन्नई में दबिश से निर्णायक मोड़

पुलिस ने तुरंत चेन्नई में रातभर यात्रा कर 20 सितंबर को विकास और विशाल को गिरफ्तार कर लिया। इस कार्रवाई ने केदार पासवान पर दबाव बनाया, जिसके बाद उसने पीड़िता को सरेंडर करने का फैसला किया। 21 सितंबर को पीड़िता बिहार के थाना सुरसंड में SHO के सामने प्रस्तुत हुई। हालांकि, मुख्य आरोपी दिलीप एक बार फिर केदार के घर से भाग निकला। एएचटीयू की बैकअप टीम तुरंत बिहार पहुंची और पीड़िता को हिरासत में लेकर सक्षम प्राधिकरण के समक्ष पेश किया।

6000 किमी का सफर 

इस जटिल ऑपरेशन में पुलिस ने दिल्ली, तमिलनाडु, बिहार और नेपाल सीमा तक 6000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की। कई राज्यों में छापेमारी, तकनीकी जांच और स्थानीय सहयोग के जरिए नाबालिग को सकुशल बरामद किया गया। डीसीपी हरेश्वर स्वामी ने कहा, “हमारी टीम की अथक मेहनत और समर्पण ने एक मासूम की जिंदगी बचाई। हम मुख्य आरोपी को जल्द गिरफ्तार करेंगे।”

पुलिस अब दिलीप की तलाश में जुटी है। जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि अपहरण और मानव तस्करी के इस नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल हो सकता है। पीड़िता को सक्षम प्राधिकरण के समक्ष पेश कर आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है।

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